पटना : सीमांचल की सीटों पर अपनी कमजोर पकड़ को मजबूत बनाने के लिए लोकसभा चुनाव 2024 का पहला बिगुल बिहार के इसी सीमांचल इलाके से भाजपा ने फूंका. आपको बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सीमांचल दौरे के बाद से यहां भाजपा नेताओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है. इन सीटों पर भाजपा की सहयोगी जदयू लड़ती रही और किशनगंज को छोड़कर पिछले बार सीमांचल की सभी सीटों पर जदयू ने कब्जा जमाया था अब जदयू भाजपा के साथ नहीं है ऐसे में भाजपा को पता है इन सीटों पर उसकी राह आसान नहीं है. 


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बिहार की 40 में 36 सीटों पर लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा ने जीत का लक्ष्य रखा है और यह तभी संभव है जब सीमांचल की सीटें भी भाजपा अपने हिस्से में कर ले. राजद और एआईएमआईएम का गढ़ माने जानेवाले सीमांचल पर भाजपा की नजर के कई सियासी कारण हैं. भाजपा जानती है कि यहां के वोट अगर उसकी तरफ खिसके तो पूरे बिहार में इसका असर पार्टी के पक्ष में देखने को मिलेगा. 


भाजपा ने ऐसे में अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार की सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. ऐसे में अब भाजपा ने यहां के मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए ईद के बाद सूफी संवाद के आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है. 


इसके लिए पार्टी सूत्रों की मानें तो पूरी तरह से गैर राजनीतिक 150 सूफी संवाद इन सीटों पर आयोजित किए जाएंगे. जिसमें कव्वाली, तकरीर जैसे कार्यक्रम होंगे जिसके जरिए विपक्ष की राजनीतिक को खंडित करने का प्लान है. इसके जरिए भाजपा को लेकर जो अफवाह मुस्लिमों के मन में है उसे दूर करने की कोशिश की जाएगी. साथ ही केंद्र सरकार की योजनाएं और इसका लाभ भी गिनाया जाएगा. 


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ऐसे में राज्य में सूफी संवाद कार्यक्रम के आयोजन की योजना है, भाजपा के यहां की चार में से सिर्फ अररिया सीट है जो पास में है. इनमें से दो सीट जेडीयू और एक सीट किशनगंज कांग्रेस के पास है. ऐसे में भाजपा केवल सीमांचल नहीं बल्कि देशभर के 60 ऐसे लोकसभा सीटों को चिन्हित कर चुकी है जहां मुस्लिम आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में इन सीटों पर भाजपा का खास फोकस है. हालांकि भाजपा के कई स्थानीय नेता पार्टी के इस फैसले से शंकित हैं. कहीं पार्टी का कोर वोट बैंक ना बिखर जाए. राजनीतिक जानकार भी सीमांचल में भाजपा के इस प्लान से आशंकित हैं.