Lok Sabha Election 2024: इंडिया गठबंधन में नेता के नाम पर सभी के बीच तलवारें खिंचने का डर है, इसीलीए इस चैप्टर को कभी ओपन ही नहीं किया जाता. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के बीच तनातनी से नियमों की धज्जियां भी उड़ चुकी हैं. अब नीति का जनाजा नीतीश कुमार ने निकाल दिया.
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Lok Sabha Election 2024: विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल दलों की अगली यानी चौथी बैठक मंगलवार (19 दिसंबर) को होने वाली है. इस बैठक में सीट-बंटवारे को लेकर चर्चा होने की संभावना है. इस बैठक से पहले ही बिहार में विपक्षी एकता की पोल खुल चुकी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक फैसले ने जाहिर कर दिया कि इस गठबंधन के पास ना नीति, ना नियम और ना नेता. इंडिया गठबंधन में नेता के नाम पर सभी के बीच तलवारें खिंचने का डर है, इसीलीए इस चैप्टर को कभी ओपन ही नहीं किया जाता. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के बीच तनातनी से नियमों की धज्जियां भी उड़ चुकी हैं.
अब नीति का जनाजा नीतीश कुमार ने निकाल दिया. दरअसल, विपक्ष पिछले कुछ वर्षों से उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर काफी आक्रामक रहा है. अडानी ग्रुप के सहारे विपक्ष हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश करता रहा है. कांग्रेस पार्टी इसमें सबसे आगे खड़ी नजर आती रही. संसद से लेकर सड़क तक पीएम मोदी पर अडाणी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाने वाले विपक्ष की नीतीश कुमार ने बोलती बंद कर दी. वह खुद अडानी के सामने नतमस्तक हो गए और बिहार में अडानी ग्रुप को करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट थमा दिए.
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बीजेपी ने जब इसमें दोगलेपन का आरोप लगाया तो लालू यादव के सुपुत्र और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार के समर्थन में खड़े हो गए. महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेसी भी चुप हैं. अब राहुल गांधी को भी अडानी से कोई दिक्कत नहीं है. बिहार के अलावा तमिलनाडु, झारखंड और केरल में भी अडानी ग्रुप ने काफी निवेश कर रखा है. इससे एक बात तो साफ है कि अडानी को लेकर विपक्ष के आरोप और विरोध सिर्फ दिखावा है. हकीकत में तो विपक्षी राज्यों में अडानी के लिए पलक-पावड़े खोल दिए जाते हैं.