पटना: बिहार की सियासत में एक मुलाकात के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है. राज्य के दो बड़े नेताओं के बीच हुए इस मुलाकात के बाद लोगों के मन मे तरह तरह के कयास लगाए जा रहा हैं. दरअसल मंगलवार को बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच मुलाकात सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर चर्चा के दौरान हुई. जिसके बाद से ही बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है. बता दें कि सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए गए कमेटी में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के अलावा मंत्रिमंडल के सदस्य भी शामिल होते है. सभी मिलकर सूचना आयुक्त के लिए नाम तय करते हैं.


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वहीं इन दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद से बिहार की सियासत में एक सवाल उठने लगा है कि क्या राज्य में फिर से 2022 जैसे हालात बनने वाले हैं. दरअसल 2022 में जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच मुलाकात हुई थी. जिसके बाद एक अचानक नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे. दरअसल एक तरफ नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात हो रही थी और दूसरी तरफ लालू यादव ने अपने विधायकों की बैठक बुला ली. साथ ही ये आदेश जारी किया गया सभी विधायकों, विधान परिषद के सदस्य और विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी की उपस्थिति अनिवार्य है. 


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लालू यादव द्वारा अचानक बुलाई गई इस बैठक के बाद ऐसे कयास लगा जा रहे हैं कि कहीं नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने के मूड में तो नहीं है. वहीं लालू यादव की तरफ से बुलाई गई बैठक के बाद बीजेपी ने सस्पेंस बढ़ा दी. मंगलवार को बीजेपी ने अपने विधायकों और सांसदों की मीटिंग बुला ली. इस बैठक को लेकर बताया गया गया कि सदस्यता अभियान के सिलसिले में पार्टी के विधायकों, सांसदों का जुटान हुआ था. वहीं लोग इस बैठक को नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात से भी जोड़ कर देख रहे हैं.


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