बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता मुकेश साहनी (Mukesh Sahni) को मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने वाई प्लस सिक्योरिटी (Y+ Security) देने का ऐलान किया है. आईबी की रिपोर्ट के आधार पर उन पर संभावित खतरे को देखते हुए यह सुरक्षा देने का फैसला लिया गया है.
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बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता मुकेश साहनी (Mukesh Sahni) को मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने वाई प्लस सिक्योरिटी (Y+ Security) देने का ऐलान किया है. आईबी की रिपोर्ट के आधार पर उन पर संभावित खतरे को देखते हुए यह सुरक्षा देने का फैसला लिया गया है. वाई प्लस सिक्योरिटी में मुकेश साहनी को 11 सुरक्षाकर्मी मिलेंगे. साथ ही दो पर्सनल सिक्योरिटी अफसर (Personal Security Officer) के अलावा पुलिसकर्मियों की सुरक्षा भी उनको मिलेगी. इससे पहले हाल ही में बिहार के ही चिराग पासवान (Chirag Paswan) को जेड सिक्योरिटी (Z Security) दी गई है. वैसे तो यह देखने में सामान्य लगता है लेकिन पिछले कुछ समय में दिए गए सुरक्षा को देखें तो लगता है कि चुनाव का मौसम करीब आते ही नेताओं की धड़ाधड़ सुरक्षा दी जाने लगती है. बिहार में वैसे तो विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) में होने हैं लेकिन लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में अब साल भर से भी कम समय रह गया है. बिहार पर बीजेपी का कितना फोकस है, यह बिहार के राजनीतिक हालात और नेताओं को दी जा रही सुरक्षा से स्पष्ट हो गया है. आइए जानते हैं चुनाव से पहले किन किन नेताओं की सुरक्षा वीआईपी कर दी गई.
पंजाब, यूपी के नेताओं की सुरक्षा बढ़ाई गई
पिछले साल यानी 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए थे और उसी समय केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनजिंदर सिंह सिरसा और राणा गुरमीत की सुरक्षा बढ़ा दी थी. जब इन दोनों नेताओं को सुरक्षा मिली, उससे पहले ही ये दोनों बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं उत्तर प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन डिप्टी सीएम डा दिनेश शर्मा और तत्कालीन कानून मंत्री और अब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. इन दोनों नेताओं की सुरक्षा भी आईबी की रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कर दी गई थी. इन दोनों नेताओं की सुरक्षा में 33 सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए थे. वहीं आवास पर 10 आर्म्ड स्टैटिक गार्ड 24 घंटे तैनात किए गए.
पश्चिम बंगाल में नेताओं को थोक में दी गई सुरक्षा
इसी तरह 2021 में जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे, उससे पहले मिथुन चक्रवर्ती, कैलाश विजयवर्गीय, मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी की सुरक्षा बढ़ाई गई थी. हालांकि उस समय पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेताओं पर कई जगह हमले भी हुए थे. सुवेंदु अधिकारी तो जहां जा रहे थे, कुछ महिलाएं उनका विरोध कर रही थीं. पश्चिम बंगाल के तत्कालीन बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई थी. हालांकि जब मुकुल रॉय बीजेपी से वापस तृणमूल कांग्रेस में गए तो उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सुरक्षा वापस लेने का अनुरोध किया था और उनकी सुरक्षा हटा भी दी गई थी. बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुवेंदु अधिकारी के भाई सुमेंदु अधिकारी को भी सुरक्षा प्रदान की थी. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों का प्रभारी बनाया गया था तो उनको भी अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई थी.
जीतनराम मांझी और पप्पू यादव की भी सुरक्षा बढ़ाई
बिहार की ही बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव के मौके पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी और पप्पू यादव की सुरक्षा में इजाफा किया गया था. जीतनराम मांझी को जेड सुरक्षा मिली हुई थी, जिसे बढ़ाकर जेड प्लस कर दिया गया था. वहीं पप्पू यादव को वीआईपी सुरक्षा देकर बीजेपी यादव वोटों में सेंधमारी करना चाहती थी.