Waqf Board News: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर जारी राजनीति जारी है. बिहार ने राजद नेता तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि वह इस बिल को किसी भी कीमत में लोकसभा से पास नहीं होने देंगे. उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी जोरदार हमला बोला है. इस बीच पटना में वक्फ बोर्ड का बड़ा कांड सामने आया है. बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पटना के फतुआ गांव पर अपना दावा ठोक दिया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से 10 परिवार को नोटिस भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि वह वक्फ बोर्ड की जमीन पर रहे हैं. वक्फ बोर्ड ने इन लोगों को 30 दिन के जमीन खाली करने का आदेश दिया है. गांव वालों को जब यह नोटिस मिला तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. गांववाले आनन-फानन में जिलाधिकारी के कार्यालय पहुंचे. डीएम के आदेश पर जब जांच हुई तो पता चला कि जमीन पर ग्रामीणों का पुश्तैनी अधिकार है और वक्फ बोर्ड का दावा गलत है. अब इसके बाद सवाल ये उठता है कि क्या झूठा दावा करने पर अब वक्फ बोर्ड पर कोई कार्रवाई होगी? क्या गांव वालों की जमीन बच जाएगी? अगर वक्फ बोर्ड किसी जमीन पर अपना दावा करता है, तो कहां अपील करेंगे और इससे क्या राहत मिलेगी?


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बता दें कि देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे बड़ा जमीन मालिक वक्फ बोर्ड है. यानी वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है. अपने असीमित अधिकारों का फायदा उठाते हुए वक्फ बोर्ड ने सिर्फ 13 वर्षों में अपने कब्जे की जमीन का रकबा दोगुना से भी ज्यादा कर लिया है. वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं.


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वक्फ बोर्ड की कैसी बढ़ रही जमीन?


इतनी तेजी से संपत्ति बढ़ने को लेकर कहा जाता है कि वक्फ बोर्ड अपने असीमित अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है. दरअसल, 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है. मतलब जमीन मालिक को अपना मालिकाना हक साबित करना होता है. वहीं वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है, तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है और जमीन पर कब्जा कर लेता है. 


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कहां कर सकते हैं अपील?


2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे. क्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की शक्तियों को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.  इसका सीधा मतलब यह है कि एक धार्मिक बॉडी को असीमित शक्तियां प्रदान दी गईं, जिसने वादी को न्यायपालिका से न्याय मांगने से भी रोक दिया. एक बार जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है तो उसे पलट नहीं सकते. यहां तक ​​कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार या अदालतें भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं. वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण रखने वालों के अलावा अन्य लोग भी इस कानून के खिलाफ हैं. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती. अब तक वक्फ प्रॉपर्टी की ना तो राज्य, ना केंद्र सरकार और ना अदालत जांच कर पाती है. देश में किसी अन्य धार्मिक संस्था के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं.


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