Bihar News: बिहार में बीते कुछ महीनों में कई पुल-पुलिया धरासाई हो चुके हैं. इस तरह की घटनाओं पर प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी हुई और विपक्ष आज तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश करता है. इसके बिहार के जल संसाधन विभाग द्वारा पुल-पुलिया के रखरखाव की नीति बनाई गई है. प्रमंडल स्तर पर पुल-पुलिया का पंजीकरण करके अलग-अलग विभागों द्वारा निर्मित पुल-पुलियों का पूरा ब्योरा तैयार करना है. इससे पुल की निर्माण-तिथि के साथ उसकी संभावित आयु, आकार-प्रकार, भार वहन क्षमता, निर्माता विभाग व एजेंसी, लोकेशन आदि जानकारी दर्ज करनी है, जिससे पुल-पुलिया के रखरखाव में आसानी होगी. 


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इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान पता चला कि बिहार में नहरों पर कुल 14 हजार 604 पुल-पुलिया अवस्थित हैं. इनमें से 1 हजार 35 पुल-पुलिया लावारिस हैं, मतलब इन पुल-पुलियों का निर्माण किसने किया, इसकी जानकारी सरकार के पास भी नहीं है. अब जल संसाधन विभाग इनके निर्माता विभागों व एजेंसियों की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है. इस रिपोर्ट से पता चला कि प्रदेश के 11 हजार 244 पुल-पुलिया को जल संसाधन विभाग ने बनाया है, जबकि 2 हजार 325 का निर्माण दूसरे विभागों द्वारा हुआ है. यह जानकारी हाल ही में पुल-पुलिया के ध्वस्त होने के बाद विभाग के द्वारा किए गए सर्वे से प्राप्त हुई. 


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बता दें कि बिहार में जल संसाधन विभाग के अलावा पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, योजना व विकास विभाग, पंचायती राज विभाग आदि द्वारा भी नहरों-नदियों पर पुल-पुलिया का निर्माण किया गया है. रखरखाव की नीति के निर्धारण के समय पुल-पुलिया की गणना होने पर उसके स्वामित्व की सही जानकारी उजागर हुई है. वहीं लावारिस पुल-पुलिया के संबंध में सरकार ने संबंधित प्रमंडलों को निर्देश है कि वे अपने यहां लावारिस पुल-पुलिया के निर्माता विभागों को अविलंब चिह्नित कर मुख्यालय को सूचित करें.


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