राज्यसभा चुनाव में बिहार की दो सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो गया है. जेडीयू कोटे से उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा जाएंगे तो भाजपा ने बार काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह एनडीए की ओर से एक पिछड़ा और एक सवर्ण का कांबिनेशन सेट किया गया है. मनन कुमार मिश्रा की बात करें तो वे पिछले 6 बार से बार काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमैन चुने जा रहे हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के विवेक ठाकुर और राजद की डॉ. मीसा भारती के निर्वाचित होने के बाद उनकी राज्यसभा सीट खाली हुई थी. मोदी सरकार पार्ट 1 और 2 में सुप्रीम कोर्ट से रिश्ते उतार चढ़ाव भरे रहे थे. एक कानून मंत्री ने तो सुप्रीम कोर्ट को लेकर गैरजरूरी बयानबाजी कर दी थी, जिसके बाद उनका मंत्रालय बदल दिया गया था. उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम को रद्द करने वाली एनजेएसी को ठुकरा दिया था और कॉलेजियम के पक्ष में फैसला दिया था. 


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बिहार के गोपालगंज के रहने वाले मनन कुमार मिश्रा ने पटना विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी. वे यूनिवर्सिटी टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे. 1982 से पटना हाई कोर्ट में उन्होंने बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस शुरू की और 2007 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता बन चुके थे. मनन कुमार मिश्रा छात्रों से जुड़े कई मुद्दों पर पटना हाई कोर्ट में केस लड़ चुके हैं. 2012 में पहली बार बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष चुने गए थे. 2010 में वे बार काउंसिल आफ इंडिया में स्टेट बार काउंसिल के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए थे. 


मनन कुमार मिश्रा पुराने कांग्रेसी रहे हैं और बसपा के टिकट पर वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं. मनन कुमार मिश्रा ने इसी साल की शुरुआत में 17 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर 22 जनवरी को देश की सभी अदालतों में अवकाश घोषित किए जाने की मांग की थी. बता दें कि 22 जनवरी को ही अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. 


इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने देश के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर संवेदनशील मसलों को सूचीबद्ध कर सुनवाई की मांग की थी, तो बीसीआई अध्यक्ष की हैसियत से मनन कुमार मिश्रा ने इसका पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने इसे न्यायपालिका पर बेवजह दबाव बनाने के अभ्यास के रूप में देखा था. 


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आपको याद होगा, जब सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों के प्रेस कांफ्रेंस पर विवाद शुरू हुआ था तो मनन कुमार मिश्रा ने जजों का साथ दिया था. इसके अलावा पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले में भी मनन कुमार मिश्रा ने तत्कालीन सीजेआई का साथ दिया था. इस पर बार काउंसिल आफ इंडिया पर ही सवाल उठने लगे थे, लेकिन बार काउंसिल ने उसकी परवाह नहीं की. इसके अलावा दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच विवाद को खत्म कराने में मनन कुमार मिश्रा का प्रमुख योगदान रहा था.


243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में भाजपा के 78, जेडीयू के 44, हम के 3 विधायक हैं. दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक की बात करें तो राजद के 77, कांग्रेस के 19 और सीपीआई के 15 विधायक हैं. एक विधायक निर्दलीय तो एक एआईएमआईएम से है. 4 सीटें अभी रिक्त हैं, जहां पर उपचुनाव होने हैं. इस तरह सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन में मात्र 14 सीटों का अंतर है. इससे क्रॉ​स वोटिंग का अंदेशा बढ़ गया है, जो किसी का खेल बना सकती है तो किसी का बिगाड़ सकती है.