नागरिकता संशोधन कानून पर लोगों को भड़काना, हिंसा-तोड़फोड़ का सहारा लेना दुर्भाग्यपूर्ण- अश्विनी कुमार चौबे
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नागरिकता संशोधन कानून पर लोगों को भड़काना, हिंसा-तोड़फोड़ का सहारा लेना दुर्भाग्यपूर्ण- अश्विनी कुमार चौबे

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Kumar Choubey) ने कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य कुछ विपक्षी पार्टियां उपद्रव करवाने का काम देशभर में कर रही हैं, जोकि अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है. 

फाइल फोटो...

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Law) पर दिल्ली, पूर्वोत्तर और अन्य जगहों पर हो रहे हिंसक आंदोलन की केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Kumar Choubey) ने आलोचना की और कहा कि कानून में हुए संशोधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने सदन के अंदर और बाहर बार-बार यह बातें स्पष्ट की हैं, लेकिन कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य कुछ विपक्षी पार्टियां उपद्रव करवाने का काम देशभर में कर रही हैं, जोकि अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है. जनता इसको कभी भी स्वीकार नहीं करेगी. जिस तरीके की तोड़फोड़ और हिंसा का सहारा लेकर ये आंदोलन चलाया जा रहा है वह एक लोकतांत्रिक देश में शर्मनाक है.

उन्‍होंने कहा कि "नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद भारी बहुमत से पारित होकर कानून बन चुका है. इसके पूर्व वर्ष 2016 में भी यह विधेयक संसद में आया था. संबंधित लोगों को नागरिकता देने के लिए लोक सभा द्वारा एक समिति बनाई गई थी, जिसका मैं भी एक सदस्य था. इस समिति ने देशभर में  शरणार्थी शिविरों में जाकर उनके हालात देखे थे. 

उन्‍होंने कहा कि समिति में शामिल विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने देखा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म के नाम पर असीमित प्रताड़ना सहकर अपना सब कुछ गवांकर आए हुए शरणार्थी दयनीय एवं नारकीय स्थिति में हर रहे है. मानव अधिकार और मूल अधिकार से वंचित पीड़ित और अत्याचार से त्रस्त ये शरणार्थी वर्षों से भारत में रह रहे हैं, जिनको पूछने वाला कोई नहीं था. भारत की राष्ट्रवादी जनता और इन शरणार्थियों की अपेक्षा थी कि इनको भारत की नागरिकता दी जाए. इनमें हिंदू, सिक्ख,ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी सभी हैं. 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सर्वधर्म समभाव की भावना के साथ हमने इन सभी प्रताड़ित शरणार्थियों को भारत का नागरिक बनाने का कानून बनाया है, जिसका दूसरे किसी से कोई संबंध नहीं है. इसमें किसी की नागरिकता लेने की बात नहीं है, बल्कि धर्म के नाम पर अत्याचार सहकर शरणार्थी का जीवन जीने वाले लोगों को नागरिकता देने की बात है".

उन्‍होंने कहा कि मैं स्वयं बिहार के छात्र आंदोलन और अन्य राजनीतिक आंदोलनों में बहुत ज्यादा सक्रिय रहा हूं. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष रहा, छात्र आंदोलन से भी जुड़ा रहा और जेल भी गया हूं, लेकिन मैंने कभी भी तोड़फोड़ और हिंसा का सहारा नहीं लिया. आज कुछ लोगों के उकसावे पर जो किया जा रहा है और भोलेभाले लोगों को गलत बात बताकर भड़काने का जो काम किया जा रहा है, उसकी सभी तरफ से आलोचना होनी चाहिए.