कांवड़ियों के आगमन को लेकर गोरखधाम मंदिर में तैयारी पूरी, अधिकारियों ने की कमेटी के साथ बैठक
सावन के पावन महीने की शुरुआत होते ही चर्चित ऐतिहासिक गोरखनाथ मंदिर पर तोरणद्वार कांवड़ियों के आगमन होना शुरू हो गया है. आजमनगर प्रखंड के गोरखपुर पंचायत स्थित अतिप्राचीन गोरखधाम मंदिर में श्रावणी पूर्णिमा की अभूतपूर्व तैयारी की गई है.
कटिहारः बिहार के कटिहार में सावन के पावन महीने की शुरुआत होते ही चर्चित ऐतिहासिक गोरखनाथ मंदिर पर तोरणद्वार कांवड़ियों के आगमन होना शुरू हो गया है. आजमनगर प्रखंड के गोरखपुर पंचायत स्थित अतिप्राचीन गोरखधाम मंदिर में श्रावणी पूर्णिमा की अभूतपूर्व तैयारी की गई है.
श्रावणी मेले को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा
कांवड़ियों को कोई परेशानी न हो इसको लेकर बारसोई डीएसपी, डीसीएलआर और बीडीओ ने खुद मंदिर न्यास कमिटी सदस्यों के साथ एक बैठक भी की. जिसमें कई आवश्यक निर्णय लिए गए. इस बैठक में श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर व्यवस्था और मेला सहित अन्य मुद्दों पर विस्तृत चर्चा उपस्थित सदस्यों के साथ की गई.
दो साल बाद लग रहा श्रावणी मेला
इस बार गोरखधाम मंदिर में लंबे अरसे के बाद श्रावणी पूर्णिमा की तैयारी और प्रशासनिक गतिविधियों को देख बारसोई के लोगों में जहां खुशी की लहर है. वहीं दूर दराज से जलाभिषेक करने पहुंचने वाले शिव भक्त श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना नहीं है.
आमतौर पर यहां हर साल लोगों की भीड़ होती है. लेकिन कोरोना के कारण लोगों की मौजूदगी नहीं थी. ऐसे में मंदिर कमैटी सदस्यों द्वारा लगातार विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए काम किया जा रहा है.
जानिए भगवान शिव को क्यों समर्पित हैं 30 दिन
सावन के पूरे 30 दिन भगवान शिव को समर्पित होते हैं. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं. महिलाएं इस दौरान अपने पति के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. वहीं कांवड़िए श्रद्धालु कांवड़ लेकर चलते हैं और गंगा जल लाकर महादेव का अभिषेक करते हैं. सावन में पड़ने वाले सोमवार में रुद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में माता पार्वती ने निराहार रहकर भगवान शिव को पति रूप में पाने का कठोर व्रत किया था. यह भी एक वजह है कि भगवान शिव को सावन का महीना बेहद प्रिय है.
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