राज्यपाल के विधेयक लौटाने पर बोले बाबूलाल मरांडी, सिर्फ कमाई के लिए नियम बनाती है सरकार
Jharkhand Politics: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राजभवन से जिस विधेयक को वापस लौटाया गया है, इन्हीं बातों को हमने 5 महीने पहले उठाया था. उन्होंने राज्य सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि अगर लोग ऐसे ही राज्य को लूटेंगे तो फिर कुछ नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए कानून का कोई मतलब नहीं.
रांचीः Jharkhand Politics: झारखंड में बुधवार को अब एक नया राजनीतिक शिगूफा मिल गया है. राजभवन से राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड विधानसभा से पारित एक और बिल (झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक -2022) सरकार को लौटा दिया है. राज्यपाल के फैसले के बाद ही सियासत गर्मा गई और बयानवीर मैदान में उतर आए हैं. इसके बाद से बयानबाजियों का दौर जारी है. राज्यपाल ने विधेयक लौटाकर इसके प्रावधानों में संशोधन करने को कहा है. एक तरफ जहां जेएमए इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बता रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा जो कि पहले से बिल की आलोचना कर रही थी, उसने फिर से इस मामले में अपना सुर ऊंचा किया है.
जिस आधार पर विधेयक लौटाया, उसे पहले ही बताया थाः बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राजभवन से जिस विधेयक को वापस लौटाया गया है, इन्हीं बातों को हमने 5 महीने पहले उठाया था. उन्होंने राज्य सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि अगर लोग ऐसे ही राज्य को लूटेंगे तो फिर कुछ नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए कानून का कोई मतलब नहीं. सिर्फ कमाई कैसे हो उसे ध्यान में रखते हुए नियमावली बनती है. इन्हीं मुद्दों को लेकर राज्यपाल ने आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा कि जब शराब का ठेका दिया जा रहा था उस वक्त भी, हमने कई बार ट्वीट किए थे, इसमें अपने लोगों को और मनमाफिक कंपनी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. ठेके को कैंसिल कर शब्दों की कारीगरी कर उन्हीं सारे लोगों को ठेका दिया गया जिन्हें देने की तैयारी की गई थी.
राज्यपाल ने ये दिए हैं निर्देश
विधेयक लौटाते हुए राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार अन्य राज्यों में लागू प्रावधानों की समीक्षा के बाद निर्णय ले, साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही तय करने को भी उन्होंने जरूरी बताया है. वहीं राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने के बाद सूबे में सियासत गर्म हो गयी है. सत्ता धारी दल झामुमो ने राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए कहा -राजभवन के इस फैसले से राजनीति की बू आती है. एक लोकप्रिय सरकार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और तो और आश्चर्य तब होता है जब सरकार को बदनाम करने की साजिश में राजभवन भी शामिल हो जाता है.
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