रांची: नक्सल ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता हासिल की है. सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की मानें तो बिहार से नक्सलियों का सफाया हो गया है. वहीं, बिहार और झारखंड में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां फोर्स नहीं पहुंच सकती. सीआरपीएफ के डीजी ने ये जानकारी दी है. 


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अब बिहार हुआ नक्सल मुक्त
सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल कुलदीप सिंह ने बताया कि नक्सल अभियान में सुरक्षा बलों ने इस साल भारी सफलता अर्जित की है. उन्होंने कहा कि हम कह सकते हैं कि अब बिहार राज्य नक्सल मुक्त है. रंगदारी गिरोह के रूप में इनकी थोड़ी बहुत मौजूदगी हो सकती है, लेकिन बिहार में अब ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां नक्सलियों का दबदबा हो.


बिहार-झारखंड में हर जगह CRPF की पहुंच
वहीं दूसरी तरफ बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां सुरक्षा बल नहीं पहुंच सकते. सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि झारखंड में तीन दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. पहली बार हेलीकॉप्टर की मदद से वहां फोर्स भेजी गई है. सुरक्षाबलों के लिए स्थाई कैंप भी लगाया गया है. यह तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है.


सीआरपीएफ के मुताबिक अप्रैल 2022 से अब तक 14 नक्सलियों को मार गिराया गया है. इनमें छत्तीसगढ़ में 7 नक्सली, झारखंड में 4 और मध्य प्रदेश में 3 नक्सली ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं. वहीं कुल 578 माओवादियों ने या तो आत्मसमर्पण किया है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. बिहार में 36, छत्तीसगढ़ में 414, झारखंड में 110 और महाराष्ट्र में 18 नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है.


वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में  77 फीसदी की कमी
सीआरपीएफ के मुताबिक वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में इस साल 77 फीसदी की कमी आई है. 2009 में नक्सलियों द्वारा घटित घटनाओं की संख्या 2258 थी, जो पिछले साल में घटकर 509 हो गई है. इस साल जून तक सिर्फ 295 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं मृत्यु दर में भी 85 फीसदी तक की कमी आई है.


वहीं आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी. वहीं साल 2018 में 30 हो गई थी, जो अब घटकर 25 रह गई है.


(आईएएनएस)