रांची : झारखंड में हाल ही में हुए रामगढ़ उपचुनाव की हार के बाद कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. पार्टी के नेता प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नजर आ रहे हैं. यहं उपचुनाव में हार का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है. ऐसे में झारखंड कांग्रेस में एक बार फिर से खलबली मच गई है. इस हार के बाद से ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर अपनी ही पार्टी के लोगों के निशाने पर आ गए हैं. 


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कांग्रेस के ही अनुशासन समिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता शमशेर आलम ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व पर सवाल उठाया है. साथ ही रामगढ़ उपचुनाव में हार का ठीकरा उन पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि इस हार के बाद उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.  वहीं उन्होंने कहा कि अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो ठीक है आलाकमान को इस पर फैसला लेना चाहिए. 


वहीं इस हार पर पार्टी से निलंबित नेता आलोक दुबे ने सहमति जताई और कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का न तो कोई चेहरा है और ना ही कोई जनाधार. हमें  2024 लोकसभा का चुनाव लड़ना है. ऐसे में अगर यही प्रदेश अध्यक्ष बने रहे तो झारखंड की भूमिका 24 के लिए नगण्य हो जाएगी, आलाकमान को इस पर फैसला लेना चाहिए. 


वहीं विपक्ष के नेता भी इस पर जमकर बयानबाजी कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक सीपी सिंह ने कहा कि यह कांग्रेस की संस्कृति है आए दिन कांग्रेस के अंदर कलह की खबरें आती रहती हैं. चुनाव से इसका कोई लेना देना नहीं है, उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि आज पूरा देश कांग्रेस मुक्त हो रहा है और कांग्रेस मुक्त होने की राह पर यह नेता चल रहे हैं इस पूरे मामले का हार से कोई लेना देना नहीं है. 


इधर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बचाव करते हुए कहा कि यह हार कांग्रेस के हर एक सदस्य की है. हमें इस पर मंथन करने की जरूरत है, चुनाव के दरम्यान पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता से लेकर मंत्री ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई है. ऐसे में सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष पर सवाल उठाना लाजमी नहीं इस हार की समीक्षा होगी. 


वहीं सहयोगी दल जेएमएम ने भी प्रदेश नेतृत्व का बचाव किया है. इस पूरे प्रकरण को ओछी राजनीति करार देते हुए प्रवक्ता मनोज पांडे ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को सराहा और कहा कि मौजूदा गठबंधन में वह बेहतर काम कर रहे हैं और जो लोग आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं उनका खुद का जनाधार नहीं है. इस तरह की राजनीति से महागठबंधन की सेहत पर असर पड़ सकता है. 


ऐसे में कांग्रेस के भीतर चल रहे इस तरह के खेल पर पार्टी आलाकमान का क्या रूख रहता है यह तो आगे दिखेगा. फिलहाल राजेश ठाकुर के लिए उनकी पार्टी के प्रदेश के नेता ही परेशानी का कारण बन गए हैं. 


(रिपोर्ट- अभिषेक भगत) 


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