बोकारो: मानसून के समय लगातार बारिश के कारण कई खतरनाक संक्रामक बीमारियां उत्पन्न होती हैं, जो गाय और भैंसों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं. बोकारो चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार के अनुसार बरसात के दौरान गाय और भैंसों को सबसे ज्यादा गलघोंटू रोग प्रभावित करता है. उन्होंने इस बीमारी के लक्षण, बचाव और रोकथाम के बारे में जानकारी साझा की है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पशु चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने अनुसार गलघोंटू रोग एक खतरनाक बीमारी है जो एक जानवर से दूसरे जानवर तक आसानी से फैलती है. यह रोग पाश्चुरेल्ला मल्टोसिडा नामक जीवाणु से होता है. आमतौर पर संक्रमित भोजन के जरिए गाय और भैंस के शरीर में यह जीवाणु प्रवेश करता है, जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है. उनके गले में सूजन आ जाती है और गंभीर अवस्था में दस्त और पेट फूलने से उनकी मृत्यु हो सकती है.


गलघोंटू रोग के लक्षण पहचानना आसान है. इस बीमारी से ग्रसित गाय और भैंस को तेज बुखार होता है और सांस लेने में कठिनाई होती है, जिससे सांस लेने के दौरान घुर्र-घुर्र की आवाज आती है. उनके मुंह से लगातार लार बहने लगती है और सांस नहीं ले पाने के कारण उन्हें बैठने में भी समस्या होती है.


पशु चिकित्सक की मानें तो इस बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों को रात में गौशाला में पशुओं की सेहत की जांच करनी चाहिए. अगर बुखार के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. बरसात के मौसम से पहले पशुओं में एचएस टीकाकरण कराना चाहिए, ताकि इस खतरनाक बीमारी से बचाव किया जा सके. मानसून के दौरान गलघोंटू रोग से पीड़ित गाय या भैंस को अलग स्थान पर रखना चाहिए, ताकि अन्य पशु संक्रमित न हों. इस प्रकार, मानसून के दौरान पशुपालकों को अपने पशुओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए. समय पर टीकाकरण और सतर्कता से इन खतरनाक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है, जिससे गाय और भैंस स्वस्थ रहेंगी और उनकी उत्पादकता बनी रहेगी.


ये भी पढ़िए-  IND vs SA T20 World Cup: भारत की जीत पर लालू ने अलग अंदाज में दी बधाई, टी-20 वर्ल्ड कप को लेकर तेजस्वी ने क्या कहा?