Ranchi: झारखंड की 'गोल्डन गर्ल' दीपिका कुमारी (Deepika Kumari) सोमवार को विश्व रैंकिंग में एक बार फिर से  रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गई हैं. उन्होंने हाल में ही विश्व कप के तीसरे चरण में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं. उनकी इस जीत के बाद पूरे देश में उनकी तारीफ हो रही है. वहीं, झारखंड में लोग दीपिका कुमारी की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं. तो आइये जानते हैं दीपिका का ये स्वर्णिम सफर कैसे शुरू किया: 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

10 रुपये लेकर देखा चैंपियन बनने का सपना
बचपन से ही दीपिका तीरंदाज बनना चाहती थी. हालांकि, घर की हालात ठीक न होने की वजह से उनके पिता इसके खिलाफ थे. लेकिन दीपिका की जिद्द के आगे उन्हें भी हार मनानी पड़ी थी. बचपन में दीपिका लोहारडंगा में खेलों में भाग लेने चाहती थी, लेकिन उनके पिता इसके खिलाफ थे. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने पिता को इसके लिए मना लिया था. इसके बाद दीपिका ने किसी तरह से मना लिया. आर्थिक हालात ठीक न होने की वजह से उनके पिता अपनी बेटी को खर्चे के लिए सिर्फ दस रुपये ही दे पाए थे. 


इसके बाद दीपिका ने इस जिला स्तरीय टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और उसे जीतकर भी वापस आई थी. ये दुनिया की नंबर वन तीरंदाज का यह पहला टूर्नामेंट था, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर जीत हासिल की थी.


ये भी पढ़ें: क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी बरकरार है माही का जादू, बेटी जीवा के साथ दिए ऐसे पोज


आर्चरी वर्ल्ड कप में मचाया धमाल 
पेरिस में चल रहे आर्चरी के वर्ल्ड कप स्टेज में भारत ने चार गोल्ड मेडल जीते हैं. जिसमें तीन गोल्ड मेडल दीपिका ने जीते हैं. पति अतनु दास के मिलकर वो मिक्स्ड इवेंट में गोल्ड जीत चुकी है. उनके नेतृत्व में ही भारतीय महिला रिकर्व टीम ने गोल्ड जीता था. टीम इवेंट में भारत ने मेक्सिको को 5-1 से हराया था. दीपिका ने व्यक्तिगत इवेंट में भी स्वर्ण पर ही निशाना लगाया था.


 



'