रांची से रायपुर और पलामू से दिल्ली तक सियासी घमासान, भाजपा के निशाने पर प्रदेश की सरकार
झारखंड में सियासी संशय बरकरार है. प्रदेश में हेमंत सोरेन के खिलाफ राज्यपाल का फैसला क्या आता है इसपर सभी की निगाहें टिकी हैं. ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी बयानबाजी भी तेज है. झारखंड के विधायकों ने छत्तीसगढ़ में डेरा डाल रखा है.
रांची : झारखंड में सियासी संशय बरकरार है. प्रदेश में हेमंत सोरेन के खिलाफ राज्यपाल का फैसला क्या आता है इसपर सभी की निगाहें टिकी हैं. ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी बयानबाजी भी तेज है. झारखंड के विधायकों ने छत्तीसगढ़ में डेरा डाल रखा है. एक तरफ सत्ताधारी दल की निगाहें राजभवन पर टिकी हैं तो दूसरी तरफ राज्यपाल दिल्ली के लिए उड़ान भर चुके हैं.
छत्तीसगढ़ में ठहरे झारखंड के विधायकों के रिजॉर्ट के बाहर बीजेपी युवा ब्रिगेड का प्रदर्शन
झारखंड के सत्ताधारी दल के 30 विधायक पहले ही रांची से रायपुर की उड़ान भरकर रिजॉर्ट में एकजुटता का संदेश दे रहे हैं. रायपुर में बीजेपी की युवा ब्रिगेड की तरफ से दुमका की बेटी को न्याय दिलाने के लिए रिजॉर्ट के बाहर प्रदर्शन को देखते हुए. रिजॉर्ट के बाहर सुरक्षा घेराबंदी को और सख्त कर दिया गया है.
प्रदेश सरकार की कोशिश दुमका और पलामू के मामले को कराया जाए शांत
मतलब साफ है कि सरकार की हालत जो भी हो, प्रदेश में दुमका की घटना की आग अब राज्य की सीमा को पारकर छत्तीसगढ़ में विधायकों के नियत स्थान जहां रिजॉर्ट में वह ठहरे हुए हैं. वहां तक पहुंच गई है. दुमका का यह मामला धीरे-धीरे और सुलगता जा रहा है. पुलिस और प्रशासन के साथ सरकार के खिलाफ भी लोगों के मन में गुस्सा है. वहीं सरकार इस पूरे मामले पर अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि इस आग को किसी तरह शांत किया जाए.
पलामू में 50 महादलित परिवार का अपनी जमीन से बेदखल होने का मामला पकड़ रहा तूल
इस सब के बीच पलामू के पांडू में 50 महादलित परिवार के बेदखल के मामले ने तो प्रदेश का सियासी तापमान और बढ़ा दिया है. प्रदेश की विपक्षी पार्टी भाजपा इनदोनों मामलों को लेकर लगातार प्रदेश सरकार पर हमला बोल रही है. वहीं पलामू के पांडू में 50 महादलित परिवार जहां बसे हुए थे वहां से बेदखल करने के मामले में बीजेपी की टीम प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में पलामू दौरे पर पहुंच गई. झारखंड बीजेपी राज्य सरकार की चौतरफा घेरा बंदी में जुटी हुई है. चाहे रांची में राज्य सरकार पर हमले करना हो, पलामू के पांडू से घेराबंदी करनी हो, राज्यपाल के दिल्ली दौरे से सत्ता पक्ष में संशय के हालत हों या फिर रायपुर से बीजेपी का झारखंड सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो. अब देखना यह होगा कि राज्य में यह सियासी संशय की स्थिति कब तक बनी रहती है.
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