राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कार्यक्रम रद्द होने के बाद सियासत तेज, जेएमएम ने कही ये बात
Draupadi Murmu: झारखंड स्थापना दिवस पर राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाले कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शामिल नहीं होने के मामले को लेकर अब राज्य में राजनीतिक घमासान छिड़ गया है.
रांची: Draupadi Murmu: झारखंड स्थापना दिवस पर राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाले कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शामिल नहीं होने के मामले को लेकर अब राज्य में राजनीतिक घमासान छिड़ गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का रांची आना और इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण दिया गया था और उन्होंने कार्यक्रम में आने के लिए निमंत्रण स्वीकार भी किया था. भले ही किसी के दबाव में राष्ट्रपति महोदया इस कार्यक्रम में नहीं आ रही है. वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का झारखंड से काफी लगाव रहा है. इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को देखकर विपक्ष काफी चिंतित हो गए थे. इस कार्यक्रम से करोड़ों की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास राष्ट्रपति के हाथों होना था, साथ ही कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत भी होनी थी. जिस घबराहट के कारण विपक्ष नहीं चाहता था कि राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में आए.
राष्ट्रपति का नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण
वहीं कांग्रेस पार्टी के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति का झारखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम में नहीं आना यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. आखिर क्यों और किसके दबाव से यह कार्यक्रम आनन-फानन में स्थगित हुआ. राष्ट्रपति और राज्यपाल राजनीति से काफी ऊपर का पद है और यह पद किसी पार्टी की नहीं होती. झारखंड की धरती पर आकर और झारखंड स्थापना दिवस में ना आना यह झारखंड के लोगों के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके पीछे विपक्ष का हाथ है.
राष्ट्रपति के कार्यक्रम को लेकर ओछी राजनीति
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति के कार्यक्रम को लेकर ओछी राजनीति कर रही है. जिस पार्टी के नेता राष्ट्रपति पर गलत गलत टिप्पणी करते हैं और उसी पार्टी के नेताओं द्वारा सम्मान की बात करना उनकी कहनी और कथनी साबित करता है. अपने राजनीतिक में जीवन राष्ट्रपति के कार्यक्रम पर टिप्पणी करना पहली बार देखा है. कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं को शुरू से ही एक आदिवासी राष्ट्रपति अच्छा नहीं लग रहा है.
इनपुट- मनीष मेहता