रांची यूनिवर्सिटी में मनाया गया सरहुल पर्व, मांदर की थाप पर थिरके राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
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रांची यूनिवर्सिटी में मनाया गया सरहुल पर्व, मांदर की थाप पर थिरके राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

झारखंड का पारंपरिक त्योहार और सांस्कृतिक पर्व सरहुल की चमक पूरे राजधानी रांची में दिखाई दे रही है. अलग-अलग सरना स्थलों में लोग इकट्ठा हो रहे हैं और पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं, रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय भाषा विभाग में भी सरहुल का पर्व जोरों शोरों से मनाया गया.

रांची यूनिवर्सिटी में मनाया गया सरहुल पर्व

Ranchi: झारखंड का पारंपरिक त्योहार और सांस्कृतिक पर्व सरहुल की चमक पूरे राजधानी रांची में दिखाई दे रही है. अलग-अलग सरना स्थलों में लोग इकट्ठा हो रहे हैं और पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं, रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय भाषा विभाग में भी सरहुल का पर्व जोरों शोरों से मनाया गया. ढोल नगाड़ों के साथ पारंपरिक वेशभूषा पहन कर नाचते गाते दिखाई दिए और प्रकृति से जुड़े इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया. वहीं, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर झारखंड के राज्यपाल डॉक्टर सीपी राधाकृष्णन और केंद्र मंत्री अर्जुन मुंडा पहुंचे. इनका स्वागत मांदर की थाप पर किया गया.

राज्यपाल और अर्जुन मुंडा को भी पाहन ने भी विधि विधान के साथ सरना स्थल पर पूजा अर्चना कराया. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और केंद्र मंत्री अर्जुन मुंडा भी इस मौके पर अपने आपको रोक नहीं पाए और लोगों के साथ मांदर बजाकर नाचते नजर आए. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सरहुल को प्रकृति संरक्षण का संदेश देने वाला पर्व बताया है. उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युग में जहां पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित है. ऐसे में इस प्रकार के त्यौहार की अहमियत और भी बढ़ जाती है. यह पर्व मनुष्य को प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रेरित करता है. उन्होंने वृक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वृक्षों के बिना जीवन की कल्पना असंभव है वृक्ष है तो जीवन है. राजपाल ने ईद पर भी मुस्लिम भाइयों को शुभकामनाएं दिया.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह त्यौहार सभी को संदेश देता है जिससे हमारा अस्तित्व बना है. पूजा प्रार्थना के माध्यम से हम लोग आह्वान करते हैं कि आने वाले दिनों का भविष्य अच्छी तरह बनी रहे, यही हमारा संकल्प होना चाहिए. प्रकृति के साथ इस तरह हम जुड़ जाते हैं. हम अपनी भावों को प्रकृति के जरिए प्रकट करते हैं. हमारे कारण किसी का अनिष्ट नहीं हो. कैसे हमे घुलमिल करना रहना चाहिए.हमें यह पर्व सिखाता है. प्रकृति का हमें ख्याल रखना चाहिए.

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