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Jyotish Shastra: ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों के बारे में बताया गया है. जिसमें से शनि का जातक की कुंडली पर सबसे ज्यादा प्रभाव बताया गया है. ऐसे में शनि को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है. लेकिन, शनि हमेशा जातक के जीवन में परेशानियां नहीं लाता बल्कि शनि के द्वारा कुंडली में कई राजयोगों का भी निर्माण होता है. ऐसे में आपको बता दें कि शनि के द्वारा जातक की कुंडली में पंचमहापुरुष योग का भी निर्माण होता है. इसी पंच महापुरुष योग में से एक है शश राजयोग जो शनि की कुंडली में स्थिति से बनती है.
शनि किसी भी जातक की कुंडली में अगर अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान हों तो इस राजयोग का निर्माण करते हैं. यह जातक को समाज में मान-समान दिलाने वाला, खूब धन अर्जित कराने वाला और उच्च पदों पर आसीन कराने वाला योग है. वहीं शनि के बारे में कहा जाता है कि वह जिस भी जातक को एक बार देते हैं वह उससे वापस छिनते नहीं हैं ऐसे में यह राजयोग अगर किसी की कुंडली में एक बार बन गया तो जीवनभर उसे इसका फायदा मिलता है.
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अगर शश राजयोग किसी जातक की कुंडली के दशम भाव में बन रहा हो तो ऐसे जातक को बड़ा राजनेता, सिविल सेवा में उत्तीर्णता, व्यापार में सफलता या फिर न्यायाधीश जैसे पदों पर स्थापित कर देता है. ऐसे में जिस जातक की कुंडली में शश राजयोग बन रहा हो ऐसा जातक राजा का जीवन जीता है.
शश राजयोग वैसे तो तब बनता है जब शनि लग्न में या चंद्रमा सेपहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में हो या वह अपनी स्वराशि मकर, कुंभ के अलावा अपनी उच्च की राशि तुला में मौजूद हो. ऐसे लोग घूमने-फिरने के खूब शौकीन होते हैं. ऐसे लोग किसी भी विषम परिस्थिति में आसानी से अपनी पराजय स्वीकार नहीं करते हैं. शश योग जातक को जीवन के हर काल में हर परिस्थिति में सफलता दिलाता है.ऐसे लोगों का स्वास्थ्य भी हमेशा उत्तम रहता है.