रांची: झारखंड में तेजस्वी यादव की मेहनत आखिरकार काम आई. तेजस्वी यादव ने साबित कर दिया कि झारखंड में उनकी मतदाताओं के बीच नीतीश कुमार और चिराग पासवान से अच्छी पकड़ है. 


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आपको बता दें कि महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ते हुए आरजेडी ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी को 2.90 फीसदी वोट मिले हैं. चार सीटों पर आरजेडी की जीत की संभावना थी. इन चार सीटों पर आरजेडी को 50 फीसदी तक वोट मिले हैं.
 
आरजेडी के उम्मीदवार तीन सीटों पर चार हजार से भी कम वोट से हारे हैं. झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने पूरी ताकत झोंक दी थी और उन्हें उम्मीद के मुताबिक कामयाबी भी मिली. 


वहीं, झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू और एलजेपी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था. आपको बता दें कि जेडीयू ने झारखंड में 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन जेडीयू के एक फीसदी वोट भी नहीं मिले. कई सीटों पर तो जेडीयू के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. 


वहीं, एलजेपी को महज 0.3 फीसदी वोट मिले हैं और एलजेपी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. आप दोनों पार्टियों का हश्र इस बात से समझ सकते हैं दोनों के वोट फीसदी से ज्यादा वोट नोटा को मिले हैं. 
इसका एक मतलब तो साफ है कि झारखंड में तेजस्वी यादव की रणनीती सफल रही है और नीतीश कुमार और चिराग पासवान की स्ट्रैटजी पूरी तरह से फेल हो गई है.