बिखरी आरजेडी को सदस्यता अभियान के बहाने एकजुट करने की कोशिश दिखी.
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रांची : झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपनी खोई हुई जमीन को तलाशने में जुटी है. हाल के दिनों में झारखंड तेजी से बिखरती दिखी. पहली पंक्ति के कई नेता पार्टी का साथ छोड़ गए. अब जबकि सूबे में विधानसभा चुनाव करीब है, झारखंड आरजेडी के नेता सदस्यता अभियान से सत्ता वापसी की कोशिश में जुटे हैं. पार्टी के प्रभारी भी मानते हैं कि कभी राज्य में हमारे नौ विधायक हुआ करते थे, लेकिन हम घटते गए. अगस्त क्रांति के मौके पर आरजेडी खुद को पहले से ज्यादा मजबूत करने का दावा कर रही है.
बिखरी आरजेडी को सदस्यता अभियान के बहाने एकजुट करने की कोशिश दिखी. सदस्यता अभियान में सियासी जुटान से आरजेडी की बिखरी जमीन को आरजेडी के नेता सहेजने की कोशिश करते दिखे. झारखंड आरजेडी के प्रभारी के अंदर आरजेडी के वर्तमान हालात को लेकर टीस दिखी. जय प्रकाश यादव ने महागठबंधन के नेताओं के साथ सत्ता में वापसी की रणनीति बनाने का दावा किया.
झारखंड में अगस्त क्रांति के मौके पर सदस्यता अभियान से आरजेडी के नेता सूबे में बेहतर पहचान बनाने का संकल्प लिए तो महागठबंधन के साथ रणनीति बनाने की बात कही. फिलहाल महागठबंधन का साथी कांग्रेस अपने ही आंतरिक पेंच में उलझा है. सीटों के तालमेल को कांग्रेस ने आधा-अधूरा बताया. साथ ही पॉलिटिकल गाइडलाइन नहीं होने का दर्द भी झलका. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि प्रदेश में भी बहुत सी चर्चा है. कौन रहेगा, कौन जाएगा? पहले इससे मुक्ति मिल जाए.
झारखंड में एक तरफ बीजेपी अपनी स्पस्ट नीति के तहत काम कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ विरोधियों के पास फिलहाल कोई दमदार नीति ही नजर नहीं आ रही. आरजेडी सदस्यता अभियान से संजीवनी चाहती है. तो कांग्रेस अपने ही पेंच में उलझकर कर असहाय की तरह नजर आ रही है.
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