रोहतास: बिहार के रोहतास को धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन धान के कटोरे के अन्नदाता पानी के लिए त्राहिमाम कर रहें है. क्योंकि खेतो में धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं पर सिचाई के लिए नहरों में टेल एंड एंड तक पानी नही पहुंच पा रहा है. जिस कारण किसानों के माथे पर चिंता को लकीर उभरने लगी है. ऐसे में अब इन्द्रपुरी बराज पर सिर्फ रोहतास ही नही आठ जिले के किसानों की निगाहें अब टिकी है. वहीं नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाना विभाग के लिए चुनौती बन चुका है.


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दरअसल खरीफ फसल को लेकर आठ जिलों के किसानों की निगाहें पानी को लेकर इंद्रपुरी बराज पर टिकी है. टेल एंड तक पानी पहुंचाने का दावा करने वाले सिंचाई विभाग की धड़कने नहरों में जलापूर्ति को लेकर बढ़ गई है. बताया जाता है कि गत वर्ष भी जल संकट के बीच सिंचाई विभाग ने नहरों में पानी छोड़ने के लिए राज्य व केंद्र सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजा था. पिछले वर्ष मौसम ने दगा दिया था. इस बार भी अधिकारी यह मान रहे हैं कि यदि मौसम ने साथ नहीं दिया तो बाणसागर और रिहंद पर निर्भर रहने वाले इंद्रपुरी बराज की सांसे अटक जाएगी. बराज पर जल का संकट गहरा सकता है.


इंद्रपुरी बराज से विभिन्न नहरों के टेल एंड तक पानी पहुंचाने के लिए खरीफ फसल के पूर्व पानी का स्टोर किया जाता है। ताकि स्टोरेज पानी से नहरों में जलापूर्ति किया जा सके. लेकिन, मानसून नहीं आने और बाणसागर से जल आपूर्ति कम होने के कारण विभागीय अधिकारियों की धड़कनें तेज हो जाती है. अधिकारियों के अनुसार टेल एंड तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से बराज पर 20 हजार क्यूसेक पानी की आवश्यकता है. वर्तमान में इंद्रपुरी बराज में 18 हजार क्यूसेक पानी है. चार दिनों में बारिश नहीं हुआ तो टेल और एंड तक पानी पहुंचाना कठिन हो सकता है.


रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालने को लेकर किसानों की बेचैनी है. राज्य के रोहतास, कैमूर,बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद व पटना जिला के किसानों की निगाहें आसमान के साथ-साथ इंद्रपुरी बराज पर टिकी हुई है. वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारियों को फोन कर टेल एंड तक पानी पहुंचाने का अनुरोध कर रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि इंद्रपुरी बराज पर फिलहाल मांग के अनुरूप पानी है. मांग के अनुरूप सभी नहरों में इंद्रपुरी बराज से पानी छोड़ा जा रहा है. जानकार बताते हैं की मांग के अनुरूप पश्चिमी संयोजक नहर में 3300 क्यूसेक, समानांतर नहर में 2000 क्यूसेक पूर्वी संयोजक नहर में 1800 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है.


इलाके के किसान आनंद पांडेय बताते है कि इंद्रपुरी बराज से होने वाले जलापूर्ति पर ही किसान आश्रित है क्योंकि पश्चिमी व संयोजक नहरों से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. किसान खेतों में बिचड़ा डाल चुके हैं लेकिन अभी तक उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है. जिस कारण किसान चिंतित हैं. यहां के 80 %किसान कृषि पर आधारित है अगर फसलों को समय से पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो भुखमरी की समस्या उत्पन्न होगी. जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार ने बताया कि मांग के अनुरूप सभी नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है. रिहन्द से 40000 क्यूसेक पानी मांगा गया है. वहीं बाणसागर से 6 हजार क्यूसेक पानी मांगा गया है. एक हफ्ते के अंदर तक पानी पहुंचने की संभावना है जल्द ही समानांतर नहरों में पानी की उपलब्धता होगी.


बता दें कि रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालना धान की खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है. पानी के अभाव में किसान बिचड़े नहीं डाल पा रहे हैं ऐसी स्थिति में धान के किसानों को चिंता सताने लगी है. वहीं समय से अगर धान के बिछड़े पड़ जाए तो धान की रोपाई हो जाएगी. ऐसे में धान की पैदावार अच्छी होती है. बता दें कि हर वर्ष इलाके के किसान सिंचाई की समस्या झेल रहे हैं अगर इस वर्ष भी पानी की कमी हुई तो किसानों का हाल बुरा होगा. रोहिणी नक्षत्र में किसानों को उम्मीद थी की नहरों में पानी आएगा लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. मौसम के बदलते मिजाज से किसानों में कुछ उम्मीदें जाग रही हैं लेकिन मौसम की अनिश्चितता के कारण उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है.


इनपुट- अमरजीत यादव


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