छपरा: मरणोपरांत शरीर का क्या होगा ये तो मालूम नहीं, लेकिन जीते जी श्राद्ध हो जाए तो आत्मा को संतुष्टि मिल जाएगी, इसी सोच के साथ छपरा में एक अनोखे श्राद्ध कर्म की रस्म अदायगी की गई. दरअसल सारण जिले के एकमा प्रखंड अंतर्गत भोदसा गांव के रहने वाले स्व. रामरोशन पांडेय के पुत्र 52 वर्षीय राजेंद्र पांडेय उर्फ लालका बाबा ने जीते जी अपना आत्मश्राद्ध किया. साथ ही जीते जी अपने आंखों के सामने ही मरणोपरांत की सारी कर्मकांड देखे, और मरणोपरांत जिस प्रकार से विधि विधान किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से ग्यारह दिनों से विधि विधान कर पिंडदान किया.


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बताया जाता है कि राजेंद्र पांडेय अविवाहित है और उनके परिवार किसी का नहीं होने के कारण उन्हें इस बात की चिंता हमेशा सताते रही है कि आखिर मरणोपरांत उनका श्राद्ध कर्म कोई करेगा या नहीं. बस इसी सोच के साथ उन्होंने जीते जी आत्म श्राद्ध का निर्णय लिया. ताकि जीते जी कर्मकांड हो जाए तो मरणोपरांत मोक्ष मिल जाए. श्राद्ध सम्पन्न होने के साथ ही इसकी चिंता दूर हो जाएगी. ग्रामीणों में उनका श्राद्ध कर्म कौतूहल का विषय बना हुआ है.


बिहार के छपरा जिले से आया ये मामला अब इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. हर तरफ बस इसी बात की चर्चा हो रही है कि कोई इंसान जीवित रहते अपना श्राद्ध कर्म कैसे कर सकता है. राजेंद्र पांडेय के इस निर्णय से हर कोई हैरान है. वहीं अपने जिंदा रहते ही अपना श्राद्ध करने के बाद राजेंद्र पांडेय काफी खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता होती थी उनके परिवार में कोई नहीं है तो मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार और श्राद्ध कौन करेगा. इसलिए उन्होंने जीवित रहते ही अपना श्राद्ध करने का फैसला लिया.


इनपुट- राकेश सिंह


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