कांग्रेस ने एक बार फिर जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को इशारों-इशारों में ही बीजेपी छोड़ महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया है.
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नई दिल्ली/पटनाः कांग्रेस ने एक बार फिर जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को इशारों-इशारों में ही बीजेपी छोड़ महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने रविवार को कहा कि नीतीश कुमार का जेडीयू और राम विलास पासवान की एलजेपी जैसी पार्टियां अगर बीजेपी के साथ बनी रहती हैं तो इनकी प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी, क्योंकि पिछड़े वर्गों में नाराजगी है.
गोहिल ने कहा कि बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारे के लिए मुख्य मानदंड 'जीतने की क्षमता' रहेगी और प्रदेश में विपक्ष की एकता अन्य राज्यों में भी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगी.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में एनडीए के घटक दलों जनता दल (युनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जनाधार मुख्य रूप से पिछड़े वर्ग के बीच है. इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले वे एनडीए से नाता तोड़ सकते हैं.
उन्होंने यहां पीटीआई-भाषा से कहा कि बिहार में साफ संदेश गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के खिलाफ है. चाहे नीतीश कुमार हों, पासवान हों या कुशवाहा जो भी बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं, वे इन वर्गों का समर्थन चाहते हैं तो बीजेपी गठबंधन में कैसे रह सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि यह पार्टियां एनडीए के साथ बनी रहेंगी और यदि ये पार्टियां बीजेपी के साथ बनी रहती हैं तो इनकी राजनितिक प्रासंगिकता समाप्त हो जायेगी.'
गोहिल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासनकाल में मजबूत अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम लाया गया था जिसे एनडीए सरकार ने कमजोर करने का 'पाप' किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि एससी एवं एसटी के खिलाफ दो निर्णय देने वाले न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया गया. वह एके गोयल की तरफ इशारा कर रहे थे.
हालांकि नीतीश कुमार, पासवान और कुशवाहा के लिए दरवाजे खुले होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह काल्पनिक सवाल का जवाब नहीं देना चाहेंगे. वह केवल परिस्थितियों के बारे में प्रतिक्रिया देंगे.