सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में शिक्षा व्यवस्था का हाल बड़ा ही हास्यास्पद हालात में है. यहां एक ऐसा विद्यालय है जो एक कमरे में ही 9वीं से लेकर 12वीं की क्लास चलती है. एक तरफ शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर कड़े निर्देश जारी किए जाते है, लेकिन यहां छात्र तो आते है, पर न तो बैठने की व्यवस्था है नहीं किसी अन्य आधुनिक सुविधा उपलब्ध है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

खास बात तो यह है ये स्कूल एक ही कमरा में चलता है. इस स्कूल का नाम उच्च माध्यमिक विद्यालय मधुबन, सीतामढ़ी है जो एक कमरे में संचालित होता है और एक ही कमरे में चार क्लास के साथ-साथ ऑफिस और स्मार्ट क्लास भी संचालित की जाती है. यह विद्यालय मुख्यालय में ही स्थापित किया गया है. जिसके पास अपनी जमीन नहीं है. स्कूल में एक बेंच पर पांच बच्चे बैठते हैं तो बांकी बच्चे खड़े होकर क्लास करते है, इतना ही नहीं बैठने की जगह नहीं होने से बच्चे स्कूल आकर वापस अपने घर लौट जाते हैं. हालात यह है कि इस हाई स्कूल विद्यालय में सिर्फ दो शिक्षक ही कार्यरत है. जिसमे एक शिक्षक प्रतिनियोजन पर है. यह विद्यालय अपने मूल स्थान से कुछ दूर दूसरे विद्यालय के एक कमरे में शिफ्ट किया गया है.


सरकारी दावों के मुताबिक, इस स्कूल में पिछले चार साल से कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान की जा रही है. सीएम नीतीश कुमार ने यहां नामांकित होने वाले बच्चों के उज्जवल भविष्य की सोच के साथ विद्यालय की स्वीकृति दी थी, लेकिन विभाग ने उनकी सोच का बंटाधार ही कर दिया. पिछले चार साल से यह स्कूल बुनियादी विद्यालय डुमरा के उधार के एक कमरे में संचालित है. यहां क्लास 9वीं से 12वीं तक के कुल 300 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. इसी एक कमरे में अध्ययन अध्यापन, नामांकन, निबंधन, विभागीय प्रतिवेदन समेत स्मार्ट क्लास के आलावा अन्य सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक गतिविधियां चलती है.


आप देख सकते हैं ये शिक्षिका बरामदे पर कार्यालय का कार्य करने को मजबूर हैं तो वहीं शिक्षक एक कमरे में 9वीं से 12वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाते नजर आ रहे हैं. तस्वीर में साफ तौर पर आप देख सकते हैं कि एक ही कमरे में स्मार्ट क्लास और ऑफिस की अलमारी समेत कई सामग्री नजर आ रही है. ये हालात पिछले चार वर्षों से बनी हुई है, लेकिन इस बड़ी समस्या पर अब तक विभाग और जिला प्रशासन की नजर ही नहीं पड़ रही है.


जब जी मीडिया की टीम ने इस समस्या को लेकर जब सीतामढ़ी DM रिची पांडे से बात की तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ तौर पर इनकार कर दिया और जिला शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क करने की नसीहत दी गई. जिसके बाद जब जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रमोद कुमार साहू से इस बाबत बात की गई तो इन्होंने भी सीधे हाथ खड़े कर दिए और कैमरे पर कुछ बोलने से इंकार कर दिया और कहा कि विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी की जाएगी. लेकिन यह एक बड़ा सवाल है कि चार सालों से यह हाई स्कूल अपना दर्द झेलने को मजबूर है लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अब तक कोई पहल नहीं कर सका है.
इनपुट- त्रिपुरारी शरण


यह भी पढ़ें- प्राचीन लोक कलाओं में शुमार सिक्की बना आदिवासी महिलाओं के लिए वरदान, पारंपरिक वस्तुएं बनाकर हो रहीं आत्मनिर्भर