छपरा: भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव में श्रीलंकाई कलाकारों की धूम, नाटक ने मोहा सबका मन
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छपरा: भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव में श्रीलंकाई कलाकारों की धूम, नाटक ने मोहा सबका मन

इसके बाद श्रीलंका की आई हुई आशा हंसिनी के लोक नृत्य की भी प्रस्तुति हुई, जो श्रीलंका के कोलंबो में काफी चर्चित है. इसके बाद कार्यक्रम में आगे बिहार की लोकपरंपरा जट-जटिन नृत्य की भी प्रस्तुति हुई.

छपरा में आयोजित भिखारी ठाकुर महोत्सव में कलाकारों ने अपनी प्रस्तुती से मोहा सबका मन.

पटना: भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव का दूसरा दिन बेहद रोमांचक रहा है. श्रीलंका के लोकनृत्य पर छपरावासी खूब झूमते नजर आए. यहीं नहीं छपरा के लोक कलाकारों ने भी दर्शकों का मन मोहा. भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव का दो दिवसीय आयोजन छपरा के मन एकता भवन में किया गया है, जिसमें देश-विदेश के लोक कलाकारों का जमघट लगा है. 

महोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत वार्तालाप के सेशन से हुई, जिसमें श्रीलंका की ओर से आशा हंसिनी, छत्तीसगढ़ से दीप्ती दोगरे और शा रेपर्टरी द्वारा नुक्कड़ नाटक ओक्का बोका की प्रस्तुति की गई. इमरान के निर्देशन में युवा कलाकारों ने इस मंच से कई सामाजिक मुद्दे उठाए.

इसके बाद श्रीलंका की आई हुई आशा हंसिनी के लोक नृत्य की भी प्रस्तुति हुई, जो श्रीलंका के कोलंबो में काफी चर्चित है. इसके बाद कार्यक्रम में आगे बिहार की लोकपरंपरा जट-जटिन नृत्य की भी प्रस्तुति हुई. छपरा के जन सांस्कृतिक मंच के द्वारा जट-जटिनी की प्रस्तुती पेश की गई.

इसके बाद श्रीलंकन नाटक की प्रस्तुती हुई, जिसमें श्रीलंका के कलाकारों ने बिना किसी डायलॉग के ही उसका मंचन किया. यह दरअसल एक साइलेंट नाटक का मंचन था जिसमें भाव और इशारों के जरिए प्रस्तुती को परोसा गया. इस नाटक की खास बात यह रही कि इसमें श्रीलंका की लोक परंपरा, पौराणिकता और ग्रामीण शैली के साथ-साथ लोककथाओं का समावेश किया गया था. माना जाता है कि इससे अपनी बातों को औरों तक पहुंचाना आसान होता है.