Sex Championship: हम जिसे दो आत्माओं का मिलन मानते हैं, विदेश में उसे खेल समझकर कराया जा रहा टूर्नामेंट
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Sex Championship: हम जिसे दो आत्माओं का मिलन मानते हैं, विदेश में उसे खेल समझकर कराया जा रहा टूर्नामेंट

ये प्रतियोगिता 8 जून 2023 से शुरू होगी और कई हफ्तों तक चलेगी. इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले कैंडिडेट्स को हर दिन 6 घंटे तक प्रतिस्पर्धा करनी होगी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Sex Championship 2023: क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों की चैंपियनशिप तो आपने सुनी होगी लेकिन क्या कभी सेक्स चैंपियनशिप के बारे में सुना है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या बेहूदा सवाल है, कहीं ऐसा भी हो सकता है भला? तो आपको बता दें कि आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं बाकी खेलों की प्रतियोगिता की तरह अब आप सेक्स चैंपियनशिप भी देखने को मिलेगी. ये कारनामा स्वीडन करने जा रहा है. 

स्वीडन इसी महीने पहली यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप की मेजबानी करने वाला है. ये प्रतियोगिता 8 जून 2023 से शुरू होगी और कई हफ्तों तक चलेगी. इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले कैंडिडेट्स को हर दिन 6 घंटे तक प्रतिस्पर्धा करनी होगी. प्रतिभागियों के पास 45 मिनट का होगा जिससे की वह मैच के लिए खुद को तैयार कर सकें.

इस चैंपियनशिप में खास

जानकारी के मुताबिक इस चैंपियनशिप का आयोजन स्वीडिश सेक्स फेडरेशन करने जा रहा है. स्वीडिश फेडरेशन ऑफ सेक्स के प्रेसीडेंट ड्रैगन ब्राटिक का कहना है कि इससे समाज में टैबू माना जाने वाला सेक्स के प्रति लोगों के विचारों में भी उदारता आएगी. उन्होंने बताया कि अभी तक इस चैंपियनशिप में 20 देशों के लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. 

कैसे तय किया जाएगा विनर?

यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप में कुल 16 प्रतियोगिताएं होंगी. इसमें ओरल सेक्स, पेनिट्रेशन, मसाज, अपीयरेंस, मोस्ट एक्टिव कपल आदि चीजें शामिल होंगी. वहीं हर खेल में कौन विनर होगा इसका फैसला जज और ऑडियंस के वोट से तय होगा. इस दौरान 30 प्रतिशत वोट जजों का जबकि 70 प्रतिशत वोट दर्शकों का होगा.

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कामसूत्र का जनक है भारत

भारत में जिस काम को दो आत्माओं का मिलन बोला जाता है, विदेशों में अब वो खेल की तरह लिया जाएगा. हालांकि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं की भारत में सेक्स को बुरा काम माना जाता हो. महर्षि वात्स्यायन ने 'कामसूत्र' की रचना करके दाम्पत्य जीवन का शृंगार किया. जयदेव ने अपनी लघु पुस्तिका 'रतिमंजरी' में कामसूत्र का सार संक्षेप प्रस्तुत कर अपने काव्य कौशल का अद्भुत परिचय दिया है. खजुराहो और कोणार्क की शिल्पकला भी जीवन्त कामसूत्र से प्रेरित है.