बिहार के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद आरजेडी में खुशी की लहर है. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि तस्लीमुद्दीन परिवार ने यहां दसवीं बार चुनाव में जीत दर्ज की है.
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पटनाः बिहार के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद आरजेडी में खुशी की लहर है. आरजेडी इसे सत्तापक्ष पर अपनी बड़ी जीत मान रहा है. हालांकि आरजेडी की टिकट से जोकीहाट उपचुनाव के मैदान में उतरे शाहनवाज आलम ने बड़े अंतर से जेडीयू प्रत्याशी खुर्शीद आलम को मात दी है. आरजेडी इसे अपने लिए जनता का प्यार और विश्वास बता रहा है. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि तस्लीमुद्दीन परिवार ने यहां दसवीं बार चुनाव में जीत दर्ज की है.
जोकीहाट में जीतने वाला शख्स तस्लीमुद्दीन का छोटा बेटा शाहनवाज आलम है. वहीं, जोकीहाट विधानसभा पर इससे पहले जेडीयू की जीत हुई थी. लेकिन जेडीयू से जीतने वाला प्रत्याशी भी तस्लीमुद्दीन का ही बेटा सरफराज आलम था. जो अब आरजेडी के टिकट से अररिया के लोकसभा सांसद हैं.
तस्लीमुद्दीन परिवार के उम्मीदवारों ने पहले भी कभी आरजेडी से तो कभी जेडीयू से टिकट हासिल की है. लेकिन जीत तस्लीमुद्दीन परिवार का ही होता है. तो क्या यह सच में पार्टी की जीत है. जोकीहाट विधानसभा के इतिहास में तस्लीमुद्दीन परिवार का दबदबा इस बात से पता चलता है कि यहां पहले 14 बार चुनाव में 9 बार तस्लीमुद्दीन परिवार से खड़ा हुआ उम्मीदवार ही जीता है. उपचुनाव जीतकर इस परिवार ने 10वीं बार यहां जीत दर्ज की है.
जेडीयू ने भी तस्लीमुद्दीन परिवार के उम्मीदवार के बल पर ही इससे पहले जोकीहाट विधानसभा में जीत हासिल की थी. अब आरजेडी में शामिल होकर शाहनवाज आलम ने यहां जीत दर्ज की है. तस्लीमुद्दीन परिवार के लिए लगातार ऐतिहासिक जीत काफी मायने रखती है. साथ ही यह इतिहास बयां कर रही है कि पार्टी कोई भी हो जीत तस्लीमुद्दीन परिवार के उम्मीदवार की ही होगी.
भले ही आरजेडी अपनी जीत का जश्न मना रही है. लेकिन यह सच है कि जब तस्लीमुद्दीन परिवार जेडीयू पार्टी में था तो आरजेडी ने भी इसके तिलिस्म को तोड़ नहीं पाया था. अब आरजेडी में शामिल होने के बाद जेडीयू भी तस्लीमुद्दीन का तिलिस्म तोड़ने में असफल रहा. इसलिए यह कहना क्या सही होगा कि यहां किसी पार्टी की जीत हुई है.