उपेन्द्र कुशवाहा एकबार फिर आंदोलन पर हैं. इस बार शिक्षा के मुद्दे पर कुशवाहा अनशन कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने महागठबंधन के तमाम घटक दलों को साथ लेने की कोशिश की थी.
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पटना: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLS) उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) मंगलवार से शिक्षा के मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठ चुके हैं. अपने अनशन से पहले कुशवाहा ने कांग्रेस से लेकर आरजेडी (RJD) तक के नेताओं से संपर्क कर उनका सहयोग मांगा था. अनशन में शामिल होने की अपील की थी, तेजस्वी यादव नहीं शामिल हुए. वहीं, कुशवाहा के अनशन पर सियासत भी हो रही है. एलजेपी ने कहा है कि कुशवाहा महागठबंधन का नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस कोशिश में वो अकेले पर जाएंगे.
उपेन्द्र कुशवाहा एकबार फिर आंदोलन पर हैं. इस बार शिक्षा के मुद्दे पर कुशवाहा अनशन कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने महागठबंधन के तमाम घटक दलों को साथ लेने की कोशिश की थी. तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी. उनका समर्थन मांगा था, लेकिन कुशवाहा के अनशन के पहले दिन तेजस्वी यादव उनके अभियान में शामिल नहीं हुए.
तेजस्वी यादव के शामिल नहीं होने पर आरजेडी ने सफाई देकर सहयोगी दल की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. पार्टी के नेता भाई वीरेन्द्र ने कहा है कि तेजस्वी यादव झारखंड के चुनाव में व्यस्त हैं. वहां उनका डिमांड है. हलांकि आरजेडी का पूरा समर्थन कुशवाहा को प्राप्त है. वहीं, खुद के अनशन में शामिल होने के सवाल पर भाई वीरेन्द्र ने कहा कि मुझे पार्टी की तरफ से निर्देश होगा तो जरूर शामिल होंगे.
वहीं, जेडीयू और बीजेपी ने कुशवाहा के अनशन पर सवाल खड़ा किया है. बीजेपी विधायक मनोज शर्मा ने कुशवाहा के अनशन को पॉलिटिकल स्टंट करार दिया है. जबकि जेडीयू विधायक रवि ज्योति कुमार ने कहा है कि कुशवाहा जब खुद केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री थे तब उन्होंने शिक्षा के लिए कुछ किया नहीं. आज अनशन कर लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं. पब्लिक सबकुछ जानती है.
गौलतलब है कि इससे पहले भी कुशवाहा ने केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ पूरे बिहार में आंदोलन किया था. आंदोलन के लिए कुशवाहा ने महागठबंधन को एकजुट करने की पहल की थी. उस वक्त भी ये कयास लगाए जा रहे थे कि महागठबंधन की एकजुटता के बहाने कुशवाहा महागठबंधन को लीड करने की तैयारी कर रहे हैं. वैसे पटना में हुए मार्च के दौरान भी उन्हें आरजेडी और तेजस्वी यादव का साथ नहीं मिला था. इस अनशन में भी उन्हें तेजस्वी यादव का साथ नहीं मिला. ऐसे में कुशवाहा की महागठबंधन को लीड करने की कोशिश को बड़ा झटका माना जा सकता है.