गया: 15 दिनों तक चलने वाली इस पितृपक्ष महासंगम मेला में देश के कोने-कोने लाखो हिन्दू सनातन धर्मावलम्बी अपने-अपने पितरों को उद्धार और मोक्ष दिलाने के लिए बिहार के गया में पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध कार्य करते है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लेकिन उड़ीसा के कांटामांझी से आए पिंडदान करने आया परिवार ना सिर्फ पूर्वजों के लिए ट्रेन में टिकट कटाते हैं और गया आकर उनका पिंडदान करते हैं. उनका कहना है उनकी अपने पूर्वजों के प्रति आस्था है इसलिए लोग इतनी संख्या में आते हैं.


 



उन्होंने कहा कि वो अपने साथ एक डंडा लाते हैं टिकट कराकर बर्थ पर डंडे को रखकर गया तक लाते हैं. इसे वो पितृदण्ड कहते हैं. उन्होंने कहा कि पितृदण्ड में अपने पूर्वजो की से जुड़ी चीजें गांठ के रूप में बांधते है इसे लाने से पहले वहां 7 दिनों तक भागवत गीता का पाठ का आयोजन कराते हैं.


उसके बाद सभी सदस्यों में सबसे पहले पितृदण्ड का रिजर्वेशन कराते है फिर बाकी के सदस्यों का टिकट होता है. टिकट के बाद कोच के बर्थ पर पितृदण्ड को लिटा कर लाते है इस बीच ट्रेन में टीटीई भी पूछते है यह क्या तो उन्हें बताया जाता है और उनकी भी टिकट को दिखाया जाता है. 


इतना ही नहीं सभी सदस्य रास्ते मे 2-2 घण्टे का पहरा देते हैं ताकि कोई परेशान न करे या कोई ठोकर न मार दे. बताया कि जिस तरह से पूर्वज अपने बच्चों को संभालते हैं उसी तरह अब उनके वंशज अपने पूर्वजो को संभाल कर यहां लाते है और  पिंडदान करते हैं.