Zee मीडिया की खबर का असर, MJK कॉलेज प्रशासन ने वापस लिया तुगलकी फरमान
Bettiah MJK College: बेतिया के एमजेके कॉलेज में जी मीडिया की खबर का असर हुआ है. जिसके बाद एमजेके कॉलेज प्रशासन ने अपना तुगलकी फरमान वापस ले लिया और सूचना देने पर खेद जताया.
बेतियाः Bettiah MJK College: बिहार के बेतिया से बड़ी खबर है, जहां जी मीडिया की खबर का बड़ा असर हुआ है. बेतिया के एमजेके कॉलेज प्रशासन ने अपने तुगलकी फरमान को वापस ले लिया है. छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन और जी मीडिया की खबर का बड़ा असर हुआ है. बता दें कि कॉलेज प्रशासन ने परीक्षा स्थगित कर कॉलेज के छात्र छात्राओं को एक छात्र संगठन के सेमिनार में जाने का फरमान जारी किया था कहा था कि एबीवीपी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे तो उनके आंतरिक मूल्यांकन में 10 अंक काट लिए जाएंगे. जिसकी खबर जी मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया है. खबर का असर हुआ है. प्रभारी प्राचार्य योगेंद्र सम्यक ने बताया है कि फरमान को वापस ले लिया गया है.
प्रभारी प्राचार्य योगेंद्र सम्यक ने कहा कि इस तरह की सूचना देने के लिए कॉलेज प्रशासन खेद प्रकट करता है और उस सूचना को वापस करता है. इस आदेश को कॉलेज प्रशासन वापस लेता है. इस फरमान के वापस होने के बाद कॉलेज के छात्र और छात्राओं में काफी खुशी दिखी. दरअसल, एमजेके कॉलेज ने छात्रों को सीधे-सीधे चेतावनी दे डाली है. यदि छात्र एबीवीपी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे तो उनके आंतरिक मूल्यांकन में 10 अंक काट लिए जाएंगे. शायद यह अपनी तरह का एक इकलौता मामला है. बता दें कि 25 अक्टूबर को नगर के रमना मैदान स्थित महर्षि वाल्मीकि सभागार, न्यू ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से युवा सम्मेलन आयोजित किया गया है.
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एमजेके कॉलेज के प्राचार्य ने आदेश जारी किया है कि स्नातक ग्रुप ए और ग्रुप बी के छात्र ज्यादा इस कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए तो आंतरिक मूल्यांकन के उसके 10 अंक काट लिए जाएंगे. अब इस आदेश के बाद छात्र परेशान हो गए है. कई छात्र ऐसे हैं जिनका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से कोई सरोकार नहीं है, ना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सिद्धांतों से सहमत है. अब वे समझ नहीं पा रहे हैं कि करें तो क्या और अपना दुखड़ा किसे कहें. एमजेके कॉलेज के इस फरमान के बाद कई छात्र संगठनों ने आड़े हाथों लिया है और इसे कॉलेज की तानाशाही बताया है.
एमजेके कॉलेज के छात्रों ने बताया है कि आंतरिक मूल्यांकन के अंक छात्रों की विभिन्न तरह के गतिविधियों के तहत दी जाती है. ऐसे में एबीवीपी के कार्यक्रम में शरीक होना जरूरी नहीं है. बावजूद कॉलेज उन्हें इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ज़बरन दबाव बन रहा है. यह हम छात्रों के साथ अत्याचार है.
(इनपुट- धनंजय द्विवेदी)
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