Mharashtra Politics News: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं. राज ठाकरे ने कल मुंबई के लालबागचा राजा में पूजा-अर्चना की. लालबागचा राजा मुंबई के लालबाग में रखी गई भगवान गणेश की एक मूर्ति है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी राज ठाकरे के घर गणपति दर्शन के लिए गए थे. गणेशोत्सव के अलावा पिछले कुछ दिनों से राज ठाकरे की भाजपा नेताओं के साथ बैठक भी राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन रही है. इस बीच एक विशेष मेहमान राज ठाकरे के दादर स्थित आवास 'शिवतीर्थ' पहुंचे.


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राज ठाकरे के घर पहुंचे 'बिहारी मेहमान'


बिहार विधान परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष देवेश चंद्र ठाकुर ने मनसे अध्यक्ष से मुलाकात की. इस मौके पर राज ठाकरे और उनकी पत्नी शर्मिला ठाकरे ने उनका स्वागत किया. मनसे के गठन के बाद से राज ठाकरे 'भूमिपुत्रों' को रोजगार देने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों का विरोध करते रहे हैं. उनके इस रवैये की अक्सर चर्चा होती रही है.


राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का हुआ था विरोध


यही कारण था कि कुछ महीने पहले जब राज ठाकरे ने अयोध्या दौरे का ऐलान किया था तो भाजपा के उत्तर प्रदेश सांसद बृजभूषण सिंह ने भी विरोध किया था. जिसके चलते अब राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के प्रति नरम रुख अपना लिया है, इस क्रम में उनकी देवेश चंद्र ठाकुर से मुलाकात राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है.



कौन हैं देवेश चंद्र ठाकुर


देवेश चंद्र ठाकुर, हाल ही में बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष चुने गए हैं. वे एक धाराप्रवाह मराठी वक्ता हैं. कई वर्षों तक मुंबई में रहने वाले और पुणे और नासिक में पढ़ाई करने वाले ठाकुर मूल रूप से बिहारी हैं, लेकिन उनका उच्चारण मराठी है.


पुणे, मुंबई, नासिक के साथ संबंध


पिछले सप्ताह हुए बिहार विधान परिषद चुनाव में सत्तारूढ़ जनता दल (यू) के ठाकुर निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. ठाकुर पिछले 20 साल से बिहार विधान परिषद के विधायक हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.


नए राजनीतिक गठबंधन की चर्चा


राज ठाकरे की बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष से मुलाकात हिंदी भाषियों के प्रति मनसे के नरम रुख के रूप में देखी जा रही है. बीजेपी नेताओं के साथ चल रही बैठकों के बाद बीजेपी-मनसे गठबंधन की भी चर्चा जोरों पर है. अब हिंदुत्व के मुद्दे को स्वीकार करने के बाद इस बात पर चर्चा चल रही है कि क्या राज ठाकरे का हिंदी भाषियों के खिलाफ रुख नरम होगा या नहीं. माना जा रहा है कि राज और ठाकुर की मुलाकात से नए राजनीतिक गठजोड़ की शुरुआत की बात और मजबूत होगी.


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