रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur Encounter) में शनिवार को सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हुए नक्सलियों के हमले (Naxal Attack) की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं. सुरक्षाबलों पर यह हमला आधुनिक हथियारों से लैस 400 नक्सलियों के एक समूह ने किया था. घात लगाकर किए गए इस हमले में 22 जवान शहीद हो गए और 30 अन्य घायल हो गए. 


IG रैंक के दो अधिकारी लीड कर रहे थे


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सूत्रों ने बताया कि कहा कि सुरक्षाबलों को बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा के आसपास के जंगल में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. इसके बाद शनिवार दोपहर को सुरक्षा बलों की 1500 जवानों की टुकड़ी ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया. इस टुकड़ी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कोबरा कमांडो, रेग्युलर यूनिट के जवान, बस्तर के जवानों से बनी स्पेशल बटालियन के कर्मी और छत्तीसगढ़ पुलिस से जुड़ी डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के जवान शामिल थे. छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में आईजी रैंक के दो अधिकारी इस अभियान की निगरानी कर रहे थे.


‘हिडमा’ और सुजाता का हाथ होने का शक


एंटी नक्सल ऑपरेशन से जुड़े एक सीनियर पुलिस अफसर के मुताबिक यह हमला (Naxal Attack) योजना बनाकर घात लगाकर किया गया. इस हमले में प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर-1 के नेता ‘हिडमा’ और उसकी सहयोगी सुजाता का हाथ होने का संदेह है. हिडमा पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित है और वह बड़ा शातिर दिमाग माना जाता है. अफसर ने बताया कि नक्सलियों ने जानबूझकर हमले के लिए ऐसे इलाके का चुनाव किया, जो दुर्गम इलाके में है और घने जंगलों से घिरा हुआ है. वहां पर सुरक्षाबलों के शिविर भी कम संख्या में हैं, जिसके चलते वहां अक्सर नक्सलियों की मूवमेंट होती रहती है. 


कोबरा कमांडो ने जमकर लिया नक्सलियों का लोहा


अफसर के मुताबिक नक्सलियों ने पहले जवानों को घने जंगल में अंदर तक आने दिया और फिर हल्की मशीन गन और मोर्टार से हमला बोल दिया. नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों को तीन तरफ से घेरकर भारी गोलाबारी की. नक्सलियों ने जंगल में जगह-जगह कम तीव्रता वाले IED लगा रखे थे. जिसके चलते कई जवान उन पर पैर पड़ने से शहीद हो गए. अधिकारी के मुताबिक हमले में घिर जाने के बावजूद जवानों ने पूरी बहादुरी के साथ उनका जवाब दिया और उन पर जवाबी फायरिंग की. विशेषकर कोबरा कमांडो ने बहुत बहादुरी से मुकाबला किया और सुनिश्चित किया कि अनुकूल स्थिति में होने के बावजूद नक्सली इस मुठभेड में अधिक समय तक टिके नहीं रह पाएं. उन्होंने बड़े पेड़ों की आड़ ली और तब तक गोलीबारी जारी रखी, जब तक उनके पास गोलियां समाप्त नहीं हो गईं.


समय पर नहीं उतर सके हेलीकॉप्टर


एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘घायल जवानों को निकालने के लिए मौके पर हेलीकाप्टरों को भेजा गया लेकिन मौके पर दोनों पक्षों में भारी गोलाबारी हो रही थी. जिसके चलते वे चाहकर भी मुठभेड़ वाले इलाके में नहीं उतर सके. शाम करीब 5 बजे ही हेलीकॉप्टर वहां उतर सके.' अधिकारी के मुताबिक मुठभेड़ में शहीद हुए 22 जवानों में DRG के 14 और CRPF के 8 कोबरा कमांडो शामिल हैं. CRPF का एक इंस्पेक्टर अभी भी लापता है. अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों के अधिकतर जवान गोली लगने से शहीद हुए. वहीं एक के बारे में संदेह है कि वह बेहोश हो गया और बाद में पानी की कमी होने के चलते उसकी मृत्यु हो गई.


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हमले में नक्सलियों को भी पहुंचा भारी नुकसान 


अधिकारियों ने कहा कि जंगल में मुठभेड़ (Bijapur Encounter) वाली जगह पर सुरक्षा बलों के 7 जवानों के शव मिले. वहां पर पेड़ पर गोली लगने के भी असंख्य निशान थे. नक्सली शहीद हुए जवानों के लगभग दो दर्जन अत्याधुनिक हथियार भी लूट ले गए. अधिकारियों ने कहा कि जवानों की जवाबी कार्रवाई की वजह से नक्सलियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा. नक्सली इस मुठभेड़ में मारे गए अपने करीब 10-12 साथियों को ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर अपने साथ ले गए. फिलहाल क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी है और नक्सलियों के खिलाफ अगले बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग की जा रही है. 


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