Bilkis Bano Convicts Surrender: बिलकिस बानो केस में बड़ा अपडेट है. दरअसल, बिलकिस बानो केस के सभी 11 दोषियों ने गोधरा की जेल में सरेंडर कर दिया है और उन्हें वापस जेल में बंद कर दिया गया है. बिलकिस बानो केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई डेडलाइन खत्म होने से पहले सरेंडर कर दिया. जान लें कि बिलकिस बानो केस के दोषियों को गुजरात सरकार ने ये कहते हुए छोड़ा था कि वह 14 साल की जेल काट चुके हैं और उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए रिहा किया जा रहा है. हालांकि, इन दोषियों को मुंबई की एक विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.


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14 साल में ही क्यों छूटे अपराधी?


बता दें कि जब बिलकिस बानो केस के दोषी जेल से छूटे तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके बिलकिस बानो ने इसका विरोध किया. बिलकिस बानो ने गुहार लगाई कि जब उम्रकैद की सजा मिली तो 14 साल में ही ये दोषी कैसे छूट सकते हैं. गुजरात सरकार का दोषियों को छोड़ने का फैसला सही नहीं है.


SC ने पलटा गुजरात सरकार का फैसला


फिर सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की याचिका पर इसी साल, 8 जनवरी को फैसला सुनाया और कहा कि सभी दोषियों को वापस जेल में जाना होगा. वह सरेंडर करें. गुजरात सरकार की तरफ से 1992 की माफी योजना के तहत बिलकिस बानो केस के दोषियों को छोड़ना गलत है. गैंगरेप और हत्या के दोषियों को सजा में छूट नहीं मिल सकती है.


अगस्त में छूटे थे अपराधी


जान लें कि सरेंडर करने वाले ये दोषी 2002 के गैंगरेप और हत्या के मामले में दोषी हैं. मुंबई की विशेष अदालत ने इन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हालांकि, पिछले साल अगस्त महीने में बाकी की सजा माफ करते हुए गुजरात सरकार ने छोड़ दिया था. इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया और दोषियों को वापस जेल भेज दिया.


उम्रकैद में 14 साल में ही कैसे छूट जाते हैं अपराधी?


बता दें कि जब भी किसी को उम्रकैद की सजा मिलती है तो उसे कम से कम 14 साल जेल में रहना ही होता है. 14 साल के बाद उसकी फाइल को रिव्यू किया जाता है. फिर अपराधी की उम्र, उसके अपराध की प्रकृति और जेल में उसके व्यवहार को रिव्यू किया जाता है. अगर सरकार को लगता है कि अपराधी ने अपने अपराध के मुताबिक सजा काट ली है तो उसे रिहा किया जा सकता है.