Kannadigas Reservation Bill: टेक्नोलॉजी पर तो नहीं होगा असर? कर्नाटक में 100 फीसदी आरक्षण पर किरण मजूमदार-शॉ को है ये टेंशन
Karnataka Reservation Bill: किरण मजूमदार-शॉ ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे को टैग करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “एक टेक हब के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की जरूरत है और इसका मकसद लोकल लोगों को रोजगार देना है.” हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए.
Kiran Mazumdar-Shaw On Reservation: बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार-शॉ स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण अनिवार्य करने वाले कर्नाटक सरकार के विधेयक के समर्थन मे आगे आई हैं. लेकिन वह राज्य के तकनीकी नेतृत्व के स्टेटस को सुरक्षित रखने की जरूरत पर भी जोर दे रही हैं.
किरण मजूमदार-शॉ का कर्नाटक के स्टेटस को बचाने पर जोर
प्रसिद्ध महिला उद्दमी किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि कर्नाटक में निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण को अनिवार्य करने वाला नया विधेयक रोजगार पैदा करने के लिए एक समझने लायक कदम है. हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि इस विधेयक से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लीडर के रूप में कर्नाटक के स्टेटस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.
निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य
किरण मजूमदार-शॉ ने निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य करने वाले कर्नाटक के नए विधेयक पर प्रतिक्रिया जाहिर की. उन्होंने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे को टैग करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा, “एक टेक हब के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की जरूरत है और इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना है.”
उन्होंने आगे कहा कि हमें इस कदम से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए. ऐसी चेतावनी होनी चाहिए जो इस नीति से ज्यादा से ज्यादा कुशल लोगों की भर्ती को छूट दे.
कर्नाटक कैबिनेट ने एक नए कानून को मंजूरी दे दी
किरण मजूमदार-शॉ का यह बयान तब आया है जब कर्नाटक कैबिनेट ने एक नए कानून को मंजूरी दे दी है. यह कानून निजी कंपनियों में 50 प्रतिशत मैनेजमेंट पदों और 75 प्रतिशत गैर-प्रबंधन भूमिकाओं को स्थानीय उम्मीदवारों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य बनाता है. कानून का उल्लंघन करने पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. आरक्षित पदों के लिए, उम्मीदवारों के पास कन्नड़ भाषा के साथ माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र होना चाहिए या कन्नड़ दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करनी चाहिए.
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अधिनियम में स्थानीय उम्मीदवार की परिभाषा क्या है?
यह अधिनियम एक स्थानीय उम्मीदवार को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो "कर्नाटक राज्य में पैदा हुआ हो और जो 15 वर्षों की अवधि के लिए राज्य में अधिवासित हो और जो सुपाठ्य तरीके से कन्नड़ बोलने, पढ़ने और लिखने में सक्षम हो और नोडल एजेंसी द्वारा आयोजित आवश्यक परीक्षण में उत्तीर्ण हो."
अधिनियम में यह भी कहा गया है, “अगर पर्याप्त संख्या में स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो कोई उद्योग या कारखाना या अन्य प्रतिष्ठान इस अधिनियम के प्रावधानों से छूट के लिए सरकार को आवेदन कर सकते हैं, और उचित जांच के बाद, सरकार उचित आदेश पारित कर सकती है और सरकार द्वारा पारित ऐसे आदेश अंतिम होंगे."
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