Bihar News: BJP ने बिहार में तय कर लिया सीट बंटवारे का फॉर्मूला, कुल इतनी सीटों पर लड़ेगी इलेक्शन
BJP seat sharing formula in Bihar: बीजेपी ने बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है. वह राज्य में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि बाकी सीटें सहयोगियों में बांटेगी.
BJP seat sharing formula in Bihar in lok sabha election 2024: I.N.D.I. गठबंधन के बाद अब बीजेपी ने भी बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी राज्य की 40 में से 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि बाकी 13 सीटें वह अपने सहयोगियों में बांटेगी. खास बात ये है कि गठबंधन में शामिल चाचा- भतीजे यानी पशुपति पारस और चिराग पासवान के नेतृत्व वाले लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को भी सीटें देगी.
बीजेपी 27 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बिहार में चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी ने जो फॉर्मूला तय किया है, उसके मुताबिक बीजेपी 27 सीटों पर ताल ठोकेगी. बाकी बची 13 सीटें RLJP, LJPR , RLJD और HAM के बीच 13 सीट बांटे जाएंगीं. इनमें से चिराग पासवान और पशुपति पारस के हिस्से में लोकसभा की 4-4 सीटें आएंगी.
मुकेश सहनी को भी मिलेंगी सीटें
बीजेपी से जुड़े शीर्ष पदाधिकारियों के मुताबिक बिहार में नीतीश कुमार से अलग हुई उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLJD को लोकसभा की 2 सीटें मिलेंगी. जबकि जीतन राम मांझी की पार्टी HAM को भी एक सीट देने की तैयारी की जा रही है. वहीं NDA में शामिल होने के बाद मुकेश सहनी को भी 2 सीट देने की योजना है.
I.N.D.I. गठबंधन में भी सीटों का बंटवारा
बताते चलें कि इससे पहले I.N.D.I. गठबंधन भी बिहार में सीटों के बंटवारे पर चर्चा कर चुका है. हालांकि अभी इस बारे में कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. इस फॉर्मूले के तहत बिहार में RJD और JDU दोनों 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. जबकि 4 सीटें कांग्रेस के हिस्से में आएंगी. इसके साथ ही राज्यसभा की एक सीट भी कांग्रेस को मिलेगी. वहीं वामदलों को राज्य में लोकसभा की 2 सीटें दी जाएंगी.
दोनों राज्यों को यूं ही नहीं दी जा रही प्राथमिकता
दोनों प्रमुख गठबंधनों के यूपी- बिहार को प्राथमिकता यूं ही नहीं दी जा रही है. इसके पीछे दोनों राज्यों में सीटों का अहम गणित है. यूपी में लोकसभा की 80 और बिहार में 40 सीटें हैं. ये दोनों राज्य मिलकर लोकसभा की 120 सीटें देते हैं, जो कि सदन की कुल संख्या 545 का एक चौथाई है. यही वजह है कि हर पार्टी इन दोनों राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश करती है, जिससे जीत हासिल करने की स्थिति में केंद्र में सरकार बनाने का दावा ठोका जा सके.