Bombay High Court On Marriage Promise: अगर कोई माता-पिता के दबाव में शादी के लिए मना करता है तो उसे रेप का गुनहगार नहीं माना जा सकता है. महाराष्ट्र (Maharashtra) के एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच (Nagpur Bench) ने अहम टिप्पणी की है. नागपुर बेंच ने कहा कि माता-पिता की तरफ से रिश्ते का विरोध करने पर अगर कोई शख्स शादी करने के अपने वादे से पीछे हटता है तो उसे रेप का क्राइम नहीं कह सकते हैं. ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने रेप के आरोप में फंसे 31 साल के शख्स को उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे में बरी कर दिया. शख्स के खिलाफ शादी का झांसा देकर रेप करने का मुकदमा दायर किया गया था.


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शादी के वादे पर कोर्ट की टिप्पणी


बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि ऐसा नहीं पाया गया है कि याचिकाकर्ता पीड़िता से शादी नहीं करना चाहता था. या उसने सिर्फ फायदा उठाने के लिए झूठे वादे किए थे. पुलिस के पास दर्ज एफआईआर में भी इस बात का जिक्र है कि याचिकाकर्ता शादी करने के लिए तैयार था.


माता-पिता के कहने पर वादा तोड़ना गुनाह नहीं


मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस महेंद्र चंदवानी ने कहा कि शख्स के माता-पिता शादी के लिए राजी नहीं थे और इसके बाद वह शादी के अपने वादे से मुकर गया. ऐसे में यह नहीं माना जा सकता है कि उसने आईपीसी की धारा 375 के तहत अपराध किया है.


क्या है आईपीसी की धारा 375?


जान लें कि आईपीसी की धारा 375 में किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसकी सहमति के बिना संबंध बनाने का अपराध आता है. कोर्ट ने शादी से मुकरने के बाद शख्स को धारा 375 के तहत दोषी मानने और सजा देने से इनकार कर दिया और उसे बरी कर दिया.