नई दिल्ली: बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (Border Roads Organization-BRO) ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले (Pithauragarh District) में सिर्फ 3 सप्ताह में 180 फीट लंबे बैली ब्रिज का निर्माण किया. इससे जौलजीबी सेक्टर (Jauljibi Sector) को मुख्य भूमि से जोड़ने में मदद मिलेगी. यह पुल कुछ समय पहले भारी बारिश और लैंडस्लाइड में बह गया था. 


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इस ब्रिज का 50 मीटर लंबा कंक्रीट का हिस्सा 27 जुलाई को बादल फटने के बाद हुए भारी भूस्खलन (Heavy Landslide) में बह गया था. उस भारी बारिश और बादल फटने की वजह से नालों और नदियों में उफान आ गया था और भूस्खलन में इलाके के कई लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे इलाके का संपर्क राज्य के बाकी हिस्सों से कट गया था लेकिन अब बीआरओ (Border Roads Organization) ने पुल को फिर से बना दिया है.


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इस पुल को बनाने में सबसे बड़ी समस्या इसके पार्ट्स को पिथौरागढ़ से लाना रहा. क्योंकि इस बीच लगातार भारी बारिश और भूस्खलन हो रहा था. यह पुल 16 अगस्त 2020 को बनकर तैयार हो गया. जिसके बाद जौलजीबी और मुंसियारी (Mjnsiyari) के बीच संपर्क स्थापित हो सका. 


इस पुल से 20 गांवों में रहने वाले 15000 लोगों को फायदा होगा जो जौलजीबी और मुंसियारी के बीच 66 किलोमीटर इस लंबे रोड का इस्तेमाल करते हैं.


यह पुल जब टूटा था, तब स्थानीय सांसद अजय टम्टा (MP Ajay Tamta) ने चिंता जताई थी कि इससे जौलजीबी सेक्टर के लुम्टी और मोरी गांव के लोग मुख्य भूमि से कट गए हैं. इन दोनों गांवों में बारिश के पानी और भूस्खलन ने खूब तबाही मचाई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.


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