Bullet Train long nose reason: भले ही देश के 140 करोड़ हिंदुस्तानियों में से एक बड़ी आबादी को बुलेट ट्रेन के बारे में न पता हो, लेकिन जिन्हें पता भी होगा उन्हें ये बात शायद नहीं पता होगी कि आखिर बुलेट ट्रेन की नाक इतनी लंबी क्यों होती है. भारत की पहली बुलेट ट्रेन शुरू होने के लिए पूरे प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है. मुंबई से अहमदाबाद के बीच काम चालू है. इसमें जापान की शिनकानसेन E-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन को चलाया जाएगा. इसकी नोज 15 मीटर लंबी होगी. हाई स्पीड बुलेट ट्रेन बनाने वालों ने इसका डिजाइन ऐसा क्यों रखा इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है,  जिससे बारे में आईए आपको बताते हैं.


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बुलेट ट्रेन की नाक लंबी क्यों होती है?


भारत की पहली बुलेट ट्रेन के बारे में माना जा रहा है कि इसका एक सेक्शन 2026 में शुरू हो जाएगा. जो जापानी तकनीक पर आधारित होगा. इसकी फंडिंग भी जापान कर रहा है. इस अपडेट से इतर बुलेट ट्रेन की नाक की डिजाइन की बात करें तो जापान की मेट्रो सेवा अथॉरिटीज के मुताबिक वहां 1964 में हाई-स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन चलने की शुरुआत हो गई थी. हालांकि जब ये ट्रेनें सुरंग से निकलती थीं तो बड़ी तेज यानी कानफोड़ू आवाज आती थी. इसका तोड़ निकालने के लिए जापानी इंजीनियरों पर बहुत दबाव था. लेकिन उन्होंने इसका ऐसा तरीका खोज निकाला जिसके बारे में जानकर आप भी उन्हें दाद देंगे.


नैशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के अधिकारियों ने बताया कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन जापान की शिनकानसेन E-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन होगी. इसकी नोज लंबी होने की कई वजहें हैं. इसमें सबसे खास ये है कि जब ये 320 किमी प्रति घंटे या उससे ज्यादा स्पीड से ट्रैक पर दौड़ेगी तो उससे निकलने वाला शोर कम से कम हो सके.


किस्मत और विज्ञान के कॉंबो से बना काम!


दरअसल जब कोई हाईस्पीड ट्रेन किसी टनल से गुजरती है, तो बंद जगह के कारण वो हवा को आगे धकेलती है. जिससे एयर प्रेशर वेव बनती है. ट्रेन सुरंग से उसी दरान धर्राटे मारकर मानो रॉकेट की रफ्तार से गुजरती है. इस दौरान 75 डेसीबल से अधिक की साउंड वेव जेनरेट होती है और चारों दिशाओं में करीब 500 मीटर की दूरी तक इसका असर महसूस होता था. खैर वैज्ञानिकों को ये सब तो पता था बस इसका समाधान ढूंढना था.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका समाधान निकालने का रास्ता प्रकति यानी कुदरत ने दिखाया. उसी दौरान एक जापानी इंजीनियर की नजर अचानक किंगफिशर पक्षी पर पड़ी. जो तेज स्पीड से पानी में मछलियों का शिकार करता है. इसकी चोंच का डिजाइन इंजीनियर के दिमाग में एकदम से क्लिक कर गया. 'एन आइडिया कैन चेंज योर लाइफ' वाले विज्ञापन की तर्ज पर ये आईडिया किसी वरदान जैसा साबित हुआ.


इस तरह इंजीनियर आइजी नकात्सू ने बुलेट ट्रेन के अगले हिस्से यानी उसकी नोज को किंगफिशर की चोंच की तर्ज पर डिजाइन करने का फैसला किया. उनकी टीम ने कड़ी मेहनत की जो कामयाब रही. इस डिजाइन के 2 एडिशनल फायदे और हुए. ऐसा करने से ट्रेन की फ्यूल एफिशियंसी बेहतर हुई और ट्रेन की रफ्तार भी बढ़ गई थी. 


कैसा चल रहा काम?


अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना का काम तेजी से चल रहा है. कालूपुर में बुलेट ट्रेन के लिए एक स्टेशन के कॉनकोर्स स्तरीय स्लैब का निर्माण पूरा हो गया है. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने ये जानकारी देते हुए अपनी विज्ञप्ति में कहा गया कि दो प्लेटफॉर्म वाला यह स्टेशन जमीन से 33.73 मीटर की ऊंचाई पर होगा. जो पश्चिम रेलवे के मौजूदा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 10,11 और 12 के ऊपर 38 हजार वर्ग मीटर में फैला होगा. वहीं बुलेट ट्रेन स्टेशन के कॉनकोर्स का 435 मीटर लंबा स्लैब पूरा हो चुका है. अन्य अलग-अलग साइट्स पर भी तेजी से काम जारी है.