Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन में कथित वित्तिय अनियमितता के मामले में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने ऑडिट शुरू कर दिया है. यह जानकारी दिल्ली के उपराज्यपाल के अधिकारियों ने दी. केंद्र द्वारा इस संबंध में शीर्ष लेखा परीक्षक से अनुरोध करने के बाद यह कार्रवाई की गई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि दिल्ली सरकार ने 2020 और 2022 के बीच सीएम के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण पर लगभग ₹45 करोड़ खर्च किए थे. यह पैसा आयातित संगमरमर, आलीशान आंतरिक सज्जा, रसोई के गैजेट्स पर खर्च किया गया था.


रिपोर्ट के जवाब में आम आदमी पार्टी ने कहा था कि सीएम आवास की हालत खराब है और यह सरकारी संपत्ति बनी हुई है. मामला सामने आने के बाद से भाजपा-आप के बीच जबरदस्त जुबानी जंग छिड़ी हुई है. भाजपा ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है.


भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि केजरीवाल ने 2013 में हलफनामे में दावा किया था कि वह विलासिता का आनंद नहीं लेंगे, लेकिन जब दिल्ली में लोग कोविड-19 के कारण मर रहे थे, तब उन्होंने अपने आवास पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए.


29 अप्रैल को, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को सभी प्रासंगिक रिकॉर्ड सुरक्षित करने, उनकी जांच करने और 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था.


एक महीने बाद, दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने एक 'तथ्यात्मक रिपोर्ट' में कहा कि केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण पर कुल 52.71 करोड़ रुपये की लागत आई. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें घर के निर्माण पर खर्च किए गए ₹33.49 करोड़ और मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय पर ₹19.22 करोड़ शामिल हैं.