JP Nadda News: बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा का 30 जून को कार्यकाल समाप्‍त हो रहा है. वैसे तो ये कार्यकाल जनवरी में ही पूरा हो रहा था लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए फरवरी में पार्टी ने 30 जून तक कार्यकाल बढ़ाया. इसके लिए भाजपा के राष्‍ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के संविधान में संशोधन का प्रस्‍ताव पारित किया गया था. उसमें पार्टी के संसदीय बोर्ड को ये अनुमति दी गई थी कि आपात स्थिति में पार्टी के अध्‍यक्ष के कार्यकाल को सेवा-विस्‍तार दिया जा सकता है. अब पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में जेपी नड्डडा कैबिनेट मंत्री बने हैं. बीजेपी के संविधान में एक व्‍यक्ति एक पद का ही प्रावधान है. लिहाजा इस कारण भी उनको पार्टी अध्‍यक्ष का पद छोड़ना पड़ेगा. 


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अब बीजेपी के सामने सवाल ये है कि बीजेपी को यदि नया अध्‍यक्ष चुनना है तो उसके पहले पार्टी में संगठनात्‍मक चुनाव होते हैं. जिला स्‍तर से लेकर नेशनल लेवल तक होने वाले इन चुनावों में कम से कम छह महीने का समय लगना तय है. वहीं दूसरी तरफ इसी साल के अंत तक चार राज्‍यों (हरियाणा, झारखंड, महाराष्‍ट्र और जम्‍मू-कश्‍मीर) में चुनाव होने हैं. इन सबके मद्देनजर बीजेपी जेपी नड्डडा को पार्टी अध्‍यक्ष के रूप में छह महीने का एक और सेवा-विस्‍तार दे सकती है. 


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दैनिक भास्‍कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी हालांकि इस दौरान किसी महासचिव को कार्यकारी अध्‍यक्ष बना सकती है जो दैनिक क्रियाकलाप का संचालन करते रहेंगे. इस रिपोर्ट के मुताबिक सुनील बंसल और विनोद तावड़े के नाम सबसे आगे हैं. सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कार्यपाल अध्‍यक्ष ही भविष्‍य में पूर्णकालिक अध्‍यक्ष भी बन सकता है. 


कार्यकारी अध्‍यक्ष
चूंकि बीजेपी में एक व्‍यक्ति एक पद का ही विधान है लिहाजा अब केंद्रीय मंत्री बनने के बाद वह पूर्णकालिक अध्‍यक्ष के पद पर नहीं रह सकते. लिहाजा कार्यवाहक अध्‍यक्ष बनाकर पार्टी छह महीने के अंदर सांगठनिक चुनाव और विधानसभा चुनावों पर फोकस कर सकती है और इनके खत्‍म होने तक पूर्णकालिक अध्‍यक्ष का चुनाव कर सकती है. आपको याद होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी अमित शाह अध्‍यक्ष बने रहे थे और उस दौरान पहले जेपी नड्डडा को पहले कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाया गया और बाद में पूर्णकालिक अध्‍यक्ष की जिम्‍मेदारी दी गई. गौरतलब है कि बीजेपी के विधान के मुताबिक पार्टी अध्‍यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है.