CBI Fake Passport News: सीबीआई ने महज कुछ हजार रुपये लेकर नेपाली नागरिकों के भारतीय पासपोर्ट बनाने के आरोप में 24 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें एक आरोपी पासपोर्ट अधिकारी है. हैरानी की बात है कि सीबीआई ने जिन 24 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, उनमें 16 आरोपी गंगटोक और कोलकाता में तैनात पासपोर्ट अधिकारी हैं. यानी लगभग पासपोर्ट दफ्तर में तैनात सारे अधिकारी कर्मचारी ही फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह का हिस्सा थे. ये सभी लोग मिलकर देश की सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रहे थे, जिसमें सीबीआई ने कार्रवाई की है.


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सीबीआई ने 14 अक्टूबर को कोलकाता, दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी में 50 जगहों पर छापामारी कर गंगटोक के पासपोर्ट अधिकारी गौतम कुमार साहा और दीपू छत्री को रिश्वत के पैसों के साथ गिरफ्तार किया था. इसका बाद छापेमारी में एजेंसी ने काफी सारे फर्जी दस्तावेज, पासपोर्ट और 3.08 लाख रुपये बरामद किए. 


कैसे चलता था रैकेट?


सीबीआई ने जो मामला दर्ज किया है, उसके मुताबिक कोलकाता में रीजनल पासपोर्ट ऑफिस में तैनात अधिकारी हर महीने रोटेशन प्रकिया के तहत गंगटोक में तैनात किए जाते हैं क्योंकि कोलकाता दफ्तर से ही सिक्किम पासपोर्ट दफ्तर संचालित होता है. इसी रोटेशन प्रकिया के तहत सितंबर-अक्टूबर 2023 में कोलकाता से गौतम कुमार साहा और तेनजी नीमा शेरपा को तैनात किया गया था. गौतम सीनियर सुपरिटेडेंट हैं और तेनजी जूनियर पासपोर्ट असिस्टेंट अधिकारी.


सीबीआई को इस बात की जानकारी मिली थी कि गंगटोक पासपोर्ट दफ्तर से फर्जी दस्तावेजों के जरिये नेपाली नागरिकों के भारतीय पासपोर्ट जारी किये जाते हैं और इसमें पासपोर्ट अधिकारियों के साथ बिचौलिया और एजेंट शामिल हैं, जिसमें पोस्ट ऑफिस के लोग और कुछ पुलिस कर्मी भी हैं. 


सचिन कुमार था बिचौलिया


इस काम में गंगटोक पासपोर्ट केंद्र का कर्मचारी सचिन कुमार सरकारी अधिकारियों और एजेंट के बीच बिचौलिये की भूमिका निभाता है जिसमें सचिन रॉय और बरुण सिंह राठौर एजेंट है. ये दोनों नेपाली नागरिकों की तरफ से फर्जी दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट सेवा केंद्र में पासपोर्ट का फॉर्म जमा करते हैं, जिसमें फर्जी दस्तावेज लगाए जाते हैं. इन फर्जी दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, एजुकेशनल सर्टिफिकेट शामिल हैं. 


इस काम में उदय शंकर रॉय और सुब्राता साहा मदद करते थे, ताकि ऑनलाइन फार्म जमा करने में किसी तरह की टेक्निकल दिक्कत ना आए. ये सभी फॉर्म दार्जिलिंग और गंगटोक के पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र में जमा किए जाते थे. फॉर्म जमा होने के बाद दोनों आरोपी सचिन कुमार को जानकारी देते और फाइल को उसके हवाले कर देते ताकि पासपोर्ट जारी किया जा सके.


सीबीआई की जांच में बड़े खुलासे


शुरुआती जांच में पता चला कि सचिन कुमार कोलकाता और गंगटोक में तैनात पासपोर्ट अधिकारियों की मदद से इन फर्जी दस्तावेजों को सही ठहराता. यहां तक कि फोटो खिंचवाने के लिए आवेदनकर्ता को खुद आना होता है, लेकिन ये लोग उसे भी संभाल लेते थे. इसके अलावा पासपोर्ट के लिए जरूरी पुलिस वेरिफिकेशन को भी सचिन राय, बरुण सिंह राठौर अजय चौधरी के साथ मिल कर संभाल लेते थे और पुलिस वेरिफिकेशन जारी हो जाती थी. 


सारी जांच होने के बाद पासपोर्ट जारी हो जाता था लेकिन पासपोर्ट नियम के तहत पासपोर्ट को सरकारी पोस्ट के जरिए दिए गए पते पर भेजा जाता है. इस के लिए इन आरोपी ने बागडोगरा पोस्ट ऑफिस में पोस्टमैन पप्पू साहनी के साथ साठगांठ कर रखी थी और जो भी फर्जी पासपोर्ट जारी होते थे, उन्हें पप्पू इन आरोपियों के हवाले कर देता था और रिकॉर्ड में उसे दिए गए पते पर डिलिवर दिखाता था. क्योंकि ये पासपोर्ट नेपाली नागरिकों के होते थे इसलिए वो लोग बाद में पैसे देकर इन एजेंटों सचिन राय और बरुण सिंह राठौर से पासपोर्ट हासिल करते थे.  


सचिन कुमार अफसरों की तरफ से लेता था रिश्वत


फर्जी पासपोर्ट जारी होने के बाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में काम करने वाला सचिन कुमार सरकारी अधिकारियों की तरफ से रिश्वत की रकम लेता था जो सचिन राय और बरुण सिंह राठौर भरत मान नाम के आरोपी के जरिए भिजवाया करते थे. 
इसके अलावा कोलकाता में पासपोर्ट का काम करने के बदले चंदन प्रधान ये पैसे लेकर सचिन कुमार को देता था. ये रिश्वत के पैसे लेने के बाद सचिन उनके हिस्से की रकम या तो उन अधिकारियों को सीधे दिया करता था या फिर उनके कर्मचारियों और जानकार के बैंक खातों में डलवाता था, जिसे ये आरोपी अधिकारी बाद में ले लेते थे.


 अभी तक जो जांच हुई, उससे पता चला कि 27 सितंबर 2023 को सचिन राय ने सचिन कुमार को 4 फर्जी पासपोर्ट के लिए कहा और बरुण कुमार राठौर ने 18 पासपोर्ट के लिए कहा था. 


मांगते थे फर्जी पासपोर्ट


इसके बाद 3 अक्टूबर को सचिन राय ने फिर से 9 पासपोर्ट के लिए कहा. फर्जी पासपोर्ट पर कोलकाता पासपोर्ट दफ्तर में तैनात देबाशीष भट्टाचार्य ने 3 अक्टूबर को सचिन कुमार को बताया कि उसने 14 फर्जी पासपोर्ट बना दिए हैं, जिसकी फीस यानी रिश्वत वो भिजवा दे. इसके बाद सचिन ने बरुण कुमार राठौर को देबाशीष के हिस्से की रकम वहीं पासपोर्ट दफ्तर कोलकाता में तैनात उत्तम कुमार बेहरा के ड्राइवर बब्लू दास के खाते में जमा करने के लिए कहा. देबाशीष और उत्तम फर्जी पासपोर्ट के काम में हिस्सेदार हैं. 


इसके बाद 6 अक्टूबर 2023 को 1 लाख रुपये बब्लू दास के खाते में जमा कर दिए गए और 9 अक्टूबर को इस बात की रसीद भी देबाशीष को भेजी गई. इसके बाद देबाशीष ने बब्लू दास से वो पैसे निकाल कर उसे देने के लिए कहा.


देबाशीष ने 10 अक्टूबर को सचिन कुमार को बताया कि उसने कोलकाता में 33 फर्जी पासपोर्ट को पास कर दिया है और गंगटोक में गौतम साहा ने 13 पासपोर्ट को पास कर दिया है. इसके बदले सचिन गौतम को 30 हजार भिजवा दे जिस पर सचिन कुमार ने कहा कि वो दीपू को कोलकाता से वापस आते समय सिलीगुड़ी में 13 अक्टूबर को पैसे भिजवा देगा.


सीबीआई ने पैसों के साथ किया गिरफ्तार


 इसके अलावा सचिन कुमार ने सचिन राय को दीपू छत्री को 1 लाख रुपये देने के लिए कहा जो कि गंगटोक में तैनात पासपोर्ट अधिकारी गौताम कुमार साहा के लिए थे. ये पैसे भरत मान के जरिए भिजवाए गए थे और यही पैसे गौतम साहा को देने के दौरान सीबीआई ने उसे और दीपू छत्री को मौके से पैसों के साथ गिरफ्तार कर लिया.   


 इस मामले में सीबीआई ने 16 पासपोर्ट अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनके नाम गौतम कुमार साहा, तेनजी नीमा शेरपा, देबाशीष भट्टाचार्य, पार्था कुमार दास, तपन दास, एकलव्या चक्रवर्ती, राधा गोविंदा हलदर, मनीष कुमार गुप्ता, उत्तम कुमार बेहरा, एलिजा सरकार बिश्वास, रमेश कुमार साहू, नीषित बारन साहा, मृत्युंजय दास, शाहनुर रहमान शेख, अमल दास और सचिन कुमार हैं. इसके अलावा पोस्टमैन पप्पू साहनी, बिचौलिये और एजेंट सचिन राय, बरुण सिंह राठौर, अजय चौधरी, चंदेश्वर सिंह और सुब्राता साहा के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है.