नई दिल्ली : (राजू राज) सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के पेपर लीक मामले में राजनीति में भूचाल आया हुआ है. एक तरफ प्रशासन इस मामले की जांच में जुटा हुआ है तो वहीं राजनीतिक दल एकदूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. उधर, एग्जाम में बैठने वाले छात्र भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. पूरे मामले को देखा जाए तो पहली नजर में ही यह लापरवाही का मामला नजर आता है. सीबीएसई अगर शुरू से ही इस मामले को गंभीरता से लेती तो कम से कम 10वीं के एग्जाम में 12वीं वाली गलती को दोहराने से रोका जा सकता था. जानकार बताते हैं कि एग्जाम से एक दिन पहले ही सीबीएसई को इस बारे में एक फैक्स मिला था, लेकिन सीबीएसई ने इसे गंभीरता से नहीं मिला. यहां हम पूरे मामले को क्रमवार तरीके से बता रहें हैं कि किस दिन क्या और कैसे हुआ-   


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- 23 मार्च को सीबीएससी को एक अज्ञात नंबर से फैक्स मिला, जिसमे लिखा था कि एक कोचिंग सेन्टर और 2 स्कूल के सीबीएससी एग्जाम के पेपर लीक किए हैं. 


- 24 मार्च को सीबीएससी ने ये फैक्स अपने दिल्ली के रीजनल आफिस को भेजा. रीजनल आफिस ने उसी दिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर को इस बारे में व्हाट्सएप पर शिकायत दी. 25 मार्च को पुलिस ने कुछ नही किया और न ही सीबीएससी हरकत में आई.


- 26 मार्च को सीबीएससी के राउज ऐवन्यू (Rouse Avenue) में प्रशासनिक विभाग को एक पैकेट मिला जिसमे इकोनॉमिक्स के पेपर के उत्तर थे और 4 मोबाइल नम्बर लिखे थे. जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने विद्या कोचिंग सेंटर के मालिक विक्की को पूछताछ के लिए बुलाया. लेकिन, कोई ठोस सबूत न होने की वजह से उसे छोड़ दिया गया.


- 27 मार्च को जबकि ये साफ हो चुका था कि 12वीं क्लास का इकोनॉमिक्स का पेपर लीक हो चुका है उसके बावजूद एग्जाम ड्राप नहीं किया गया. इसके बाद 27 मार्च को ही क्राइम ब्रांच ने शाम के वक़्त पेपर लीक होने की रिपोर्ट दर्ज की.


- 28 मार्च की सुबह सोशल मीडिया पर 10वीं क्लास का गणित का पेपर लीक हुआ. सीबीएससी ने एग्जाम के 90 मिनट बाद दूसरी शिकायत दिल्ली पुलिस को दी. जिसके बाद उस पर भी रिपोर्ट दर्ज की गई. 


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- 29 मार्च को विक्की को फिर पूछताछ के लिए बुलाया. उसने दावा किया कि उसे भी ये प्रश्न पत्र व्हाट्सएप पर मिला और कुछ लोगों पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया. क्राइम ब्रांच के मुताबिक, 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स के पेपर लीक को लेकर अब तक करीब 25 लोगों से पूछताछ कर चुकी है.


- क्राइम ब्रांच के मुताबिक, इनमें 11 स्कूल के स्टूडेंट्स हैं जिन्हें व्हाट्सएप पर पेपर मिले. 7 फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हैं, 5 ट्यूटर्स और 2 अन्य व्यक्ति हैं.


- दसवीं क्लास के गणित के पेपर लीक केस में क्राइम ब्रांच अभीतक 24 छात्रों की पहचान कर चुकी है जिनको व्हाट्सएप पर पेपर मिल था. ये पेपर परीक्षा से एक शाम पहले लीक हो चुका था.


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- क्राइम ब्रांच के राडार पर दिल्ली की एक महिला ट्यूटर भी है जोकि एक व्हाट्सएप ग्रुप की एडमिन है. इसी ग्रुप में यह पेपर लीक हुआ था. छात्रों के मुताबिक, उन्हें ये पेपर सोशल मीडिया के जरिए मिले थे, हालांकि पुलिस ने अभी तक इस में पैसों के जरिये पेपर खरीदने की बाद से इनकार किया है. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, ये पेपर 10 से 15 हजार रुपये में बेचे गए थे.


- सूत्रों के मुताबिक, एक गिरोह ने छात्रों से संपर्क करके आउटर दिल्ली के रोहिणी, उत्तम नगर इलाके में पैसे देने के लिए बुलाता था. यह गिरोह 10 से 15 हजार में छात्रों को पेपर बेच रहा था.


- क्राइम ब्रांच ने सीबीएससी से संपर्क कर ये जानने की कोशिश की है कि पेपर एग्जाम सेंटर तक कैसे पहुचता है, कहां छपता है और क्या सुरक्षा इंतजाम होते हैं. क्राइम ब्रांच इस केस में व्हाट्सएप पर लीक हुए पेपर में चैन बनाने की कोशिश कर रही है ताकि पता चल सके कि सोशल मीडिया पर सबसे पहले पेपर लीक कर किसने डाला.