जम्मू-कश्मीर: अमरनाथ यात्रा तक बढ़ सकता है सीजफायर, गृहमंत्री आज कर सकते हैं घोषणा!
जम्मू-कश्मीर में हो रही वारदातों में आतंकियों की झुंझलाहट नजर आ रही है. आतंकियों का मंसूबा है कि वह इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर एक मनौवैज्ञानिक दबाव पैदा करें, जिससे घाटी में जारी सीजफायर को भंग कराया जा सके.
नई दिल्ली: रमजान के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में घोषित किए गए सीजफायर की अवधि को अमरनाथ यात्रा तक बढ़ाई जा सकता है. संभावना जताई जा रही है कि जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए गृहमंत्री राजनाथ सिंह आज देर शाम तक इसका ऐलान कर सकते हैं. जम्मू कश्मीर में सीजफायर बढ़ाने का मकसद घाटी में सक्रिय आतंकियों और उनके हमदर्दों का चेहरा पर्दाफाश करने के साथ अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा कराना है. उल्लेखनीय है कि अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने के लिए तमाम आतंकी संगठन अलग-अलग षडयंत्र कर रहे हैं. सरकार और सुरक्षाबलों के लिए इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती घाटी के हालात को नियंत्रण में रखते हुए अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा कराना है. ऐसे में सरकार और सुरक्षाबलों के पास सीजफायर ही एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए वे घाटी के बाशिंदों का मन बदलकर आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर सकते हैं.
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सीजफायर के बाद बदलने लगी है घाटी की आबोहवा
सुरक्षाबल से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, रमजान को देखते हुए घाटी में सीजफायर की घोषणा के सकारात्मक परिणाम दिखना शुरू हो गए हैं. वर्तमान समय में भले ही आंशिक तौर पर इसका असर दिख रहा हो, लेकिन इस आंशिक असर के साथ भरोसा बहाली और शांति की आशा भी प्रबल होती जा रही है. उन्होंने बताया कि सीजफायर के चलते घाटी की बदली आबोहवा ने जहां सुरक्षाबलों के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं, वहीं आतंकियों के लिए कुछ मुश्किलें भी खड़ी की है. आलम यह है कि आतंकी चाहते हैं कि वह अमरनाथ यात्रा को आतंकी वारदात के जरिए हल हाल में प्रभावित किया जाए. लेकिन सीजफायर के बाद घाटी में बदलते हालात ने उनके लिए यह मुश्किल कर दिया है. मुश्किल यह है कि लोग मजबूरी में भले ही उनका साथ दे रहे हों, लेकिन कोई उनके लिए आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार नहीं हो रहा है.
अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने के लिए आतंकियों के घुसपैठ का मंसूबा
ऐसे में आतंकी अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ कराने का मंसूबा तैयार कर रहे हैं. इसी मंसूबे के तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की तरफ आतंकियों ने करीब दस लांचिग पैड तैयार किए हैं. ये लांचिंग पैड गुरेज, माछिल, केरन, तंगधार, नौगाम, उरी, पुंछ, भींबर, नौसेरा ओर रामपुर सेक्टर में देखे गए हैं. सबसे ज्यादा 120 आतंकी भींबर गली में बनाए गए लांचिंग पैड पर देखे गए हैं. जबकि अन्य लांचिंग पैड पर आतंकियों की संख्या 30 से 50 के बीच है. आतंकी संगठनों का मंसूबा है कि अमरनाथ यात्रा से पहले करीब 450 आतंकियों को भारत की सीमा में ढकेल दें. जिससे वह घाटी में अपना बेस तैयार कर अमरनाथ यात्रा के दौरान बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दे सकें. हालांकि भारतीय सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते उनका यह मंसूबा पूरा होना करीब असंभव के बराबर ही है.
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सीजफायर के दौरान भी हो सकती है अमन में खलल डालने वालों पर कार्रवाई
सुरक्षाबल से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भले ही जम्मू-कश्मीर में घोषित सीजफायर के चलते सुरक्षाबलों ने अपने ऑपरेशन पर अल्पविराम लगा दिया हो, लेकिन इसका बिल्कुल भी यह मतलब नहीं है कि वह आतंकी गतिविधियों पर नजर नहीं रख रहे हैं. इस सीजफायर का सीधा सा मतलब है कि घाटी में जो लोग शांति से रहना चाहते हैं उन्हें न ही कोई परेशान न कर सके और न ही उनके दैनिक जीवन में कोई खलल आए. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान कई तरह के एहतिहात लेने होते हैं. इनमें स्थानीय वाशिंदों की सुरक्षा भी शामिल है. ऑपरेशन के दौरान स्थानीय नागरिक हताहत न हो, इसके लिए कई बार कुछ घर तो कुछ बार पूरा इलाका खाली कराना पड़ता है. ऐसे में उनकी जिंदगी प्रभावित होती है. स्थानीय लोगों को इसी जद्दोजहद से बचाने के लिए सीजफायर का ऐलान किया गया था. जहां तक बात आतंकियों की है तो उनकी हर नापाक हरकत का सुरक्षाबल मुंहतोड़ जवाब देंगे.
कश्मीर की घटनाओं में नजर आती है आतंकियों की झुंझलाहट
सुरक्षाबल से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सीजफायर के बाद घाटी में दो तरह की घटनाएं हो रही हैं. पहली घटना में आतंकी सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड या गोलियों से हमले के साथ हथियारों को छीनने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं दूसरी घटनाएं विभिन्न इलाकों में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है. दोनों तरह की घटनाओं में आतंकियों की झुंझलाहट नजर आती है. आतंकियों का मंसूबा है कि वह इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर एक मनौवैज्ञानिक दबाव पैदा कर घाटी में जारी सीजफायर को भंग करा दिया जाए. यदि ऐसा होता है तो आतंकी यह स्थानीय नागरिकों का सुरक्षाबलों के तरफ बढ़ते झुकाव को रोकने में कामयाब हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि जहां तक आतंकियों द्वारा दिए जा रहे लगातार हमलों का सवाल है तो आतंकी इन हमलों के जरिए सुरक्षाबलों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं.
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सुरक्षाबलों को उकसाने के लिए हो रही है पत्थरबाजी
पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर सुरक्षाबलों का कहना है कि सीजफायर से पहले हो रही पत्थरबाजी और सीजफायर के बाद हो रही पत्थरबाजी की घटनाओं में अंतर है. सुरक्षाबलों के अनुसार, सीजफायर से पहले आतंकियों के हमदर्द पत्थरबाजी सुरक्षाबलों के ऑपरेशन को रोकने और आतंकियों को मौके से भगाने के लिए करते थे. वहीं, सीजफायर के बाद पत्थरबाजी की कोई ठोस वजह नहीं है. आतंकियों से हमदर्दी रखने वाले कुछ लोग एक षडयंत्र के तहत विश्व पटल पर कश्मीर को अशांत दिखाने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी कोशिश यह भी है कि ऐसी घटनाओं के जरिए सुरक्षाबलों को इस कदर मजबूर कर दिया जाए कि वह हथियार उठाने के लिए मजबूर हो जाएं और जम्मू-कश्मीर से सीजफायर खत्म हो जाए.