जयपुर: राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में विपक्ष के हंगामे के बीच राजस्थान विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन (संशोधन) विधेयक 2021 पारित हो गया. इस बिल के उस प्रावधान का बीजेपी ने विरोध किया, जिसके तहत अब राजस्थान में विवाह करने वाले (माइनर हो तो भी), उनके विवाह का रजिस्ट्रेशन हो सकता है. यानी प्रदेश में अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन होगा और माता-पिता को 30 दिन पहले इसकी सूचना सार्वजनिक करनी होगी.


संसदीय कार्यमंत्री ने बताई वजह 


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भारी हंगामे के बीच बिल पर हुई चर्चा का जवाब सूबे के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने दिया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक लाने की वजह बहुत अहम है. मैरिज रजिस्ट्रेशन का पंजीकरण कानून 2009 के बाद जिला अधिकारी ही शादियों का पंजीयन कर सकता था लेकिन अब अतिरिक्त जिला अधिकारी और ब्लाक अधिकारी को भी इसमें जोड़ा गया है.


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बीजेपी ने जताई नाराजगी


जब विधेयक को विधानसभा में पास किया जा रहा था, तब बीजेपी ने मत विभाजन की मांग की. सभापति राजेंद्र पारीक के इनकार पर बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर दिया. वहीं बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी MLA अशोक लाहोटी ने कहा, 'बिल का पास होना विधानसभा के लिए काला दिन है. क्या विधानसभा हमें सर्वसम्मति से बाल विवाह की अनुमति देती है?'.


(फाइल फोटो: राजस्थान विधानसभा)


सरकार की सफाई


संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, 'शादी की निर्धारित आयु से कम की शादी का पंजीयन होने का मतलब यह नहीं हैं कि वह शादी वैध हैं. भले ही पंजीयन हो गया हो लेकिन नियमानुसार उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. निर्धारित उम्र से कम का पंजीयन अनिवार्य सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशों की पालना के तहत किया गया. 


उन्होंने ये भी कहा मैरिज सर्टिफिकेट एक लीगल डॉक्यूमेंट है और उसके अभाव में कई बार विधवा महिला को राज्य सेवाओं में नहीं लिया जा सकता है. ऐसे में उत्तराधिकार प्रकरणों में भी निस्तारण की कठिनाइयां दूर होगी.


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