Khalistan News Update: आज बात करेंगे ऐसे नापाक गठजोड़ की जो भारत के दुश्मनों ने तैयार किया है. भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान इसका हिस्सा है, जो पर्दे के पीछे से खालिस्तानी अभियान और रेफरेंडम को हर संभव मदद दे रहे हैं. 


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एक खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को कनाडा ने अपने देश की संप्रभुता पर हमला बताया, जैसे ही कनाडा ने भारत पर आरोप लगाए, पाकिस्तान उसके समर्थन में आकर खड़ा हो गया. 


पाकिस्तान को प्रोपेगेंडा फैलाने का मौका मिल गया. लेकिन आज हम जो एक्सक्लूसिव खुलासा कर रहे हैं उससे पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के चेहरे से भी पर्दा हटेगा. जो चीन, पाकिस्तान और आतंकी मसूद अजहर की ढाल बन जाता है वही चीन आज साइबर स्पेस में खुलेआम भारत विरोधी खालिस्तानी अभियान और रेफरेंडम को ना सिर्फ शह दे रहा है बल्कि हर संभव मदद भी कर रहा हैं. ये एक तरह का खालिस्तान रेफरेंडम : पाकिस्तान एंड चाइना जॉइंट प्रोजेक्ट है, जिसके दो चरण हैं.


पाकिस्तान कर रहा मदद


पहला चरण- कैसे पाकिस्तान, खालिस्तान रेफडेंडम का प्रचार-प्रसार करने में मदद कर रहा है. दूसरा चरण - कैसे जब भारत इस प्रचार तंत्र को भारत में घुसने से रोकता है तो चीन अपनी एक कंपनी से भारत के खिलाफ झूठी रिपोर्ट जारी करवा कर खालिस्तान की मदद करता है.


आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस का नाम आपने जरूर सुना होगा. ये वही संस्था है जो भारत से पंजाब को अलग करने के लिए रेफरेंडम अभियान चला रहा है.  इस के लिए खालिस्तानी आतंकी संगठन सोशल मीडिया पर Bots यानि फेक अकाउंट और अपनी दो वेबसाइट Sikhsforjustice.org और रेफडेंडम2020.org के जरिए भारत विरोधी अभियान चलाते हैं.  बॉट्स और वेबसाइट के जरिए भारत के खिलाफ जहर उगला जाता है, भारत को धमकियां दी जाती है.  Sikhsforjustice.org और रेफरेंडम2020.org, ये दोनों वेबसाइट पाकिस्तान से संचालित होती है. पाकिस्तान से ही इन वेबसाइट पर खालिस्तान रेफरेंडम का कंटेंट लोड होता है. 


Bots सिख फॉर जस्टिस की साजिश का हिस्सा


 वेबसाइट के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर Bots भी सिख फॉर जस्टिस की साजिश का हिस्सा है. Bots का संचालन भी पाकिस्तान की जमीन से ही हो रहा है. अब आपको इसमें चीन का खेल भी समझाते हैं.चीन की एक एंटीवायरस सॉफ्टवेयर कंपनी है Q-hoo 360. चीन की इस कंपनी ने भारत पर आरोप लगाया था कि भारत,  खालिस्तान रेफरेंडम को रोकने के लिए सिख फॉर जस्टिस की वेबसाइट पर साइबर अटैक करवा रहा है. आपके दिमाग में ये सवाल भी आ रहा होगा कि चीन की इस सॉफ्टवेयर कंपनी Q-hoo 360 का चीन की सरकार से क्या संबंध है तो अब इसका 
कनेक्शन भी समझिए.


Q-hoo 360 नाम की कंपनी चीन की सेना का ही एक हिस्सा है.  चीन की इस कंपनी के पाकिस्तान की सरकार के साथ भी व्यापारिक संबंध हैं. यानी पाकिस्तान, आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के नापाक अभियान को चलाने में साइबर स्पेस में पूरी मदद करता है और जब पाकिस्तान प्रायोजित इस प्रचार को भारत रोकने की कोशिश करता है तो चीन भारत के खिलाफ रिपोर्ट जारी कर उसे बदनाम करने की कोशिश करता है.


इसका सिर्फ एक ही मकसद है. खालिस्तानी आतंकियों की मदद करना. खालिस्तान आतंकियों को कैसे पाकिस्तान और चीन मदद कर रहे हैं. ये वेबसाइट और ये बॉट्स सबसे बड़े सबूत है खालिस्तानी साजिश के  आतंकी संगठन सिख फोर जस्टिस इन्हीं वेबसाइट और बॉट्स के जरिए भारत विरोधी अभियान चला रहा है. 


छेड़ रखी है साइबर वॉर


कनाडा में बैठे सिख फॉर जस्टिस के आतंकियों ने भारत के खिलाफ साइबर वॉर छेड़ रखी है, जिसमें कई वेबसाइट और ट्विटर Bots को आतंकियों ने अपना हथियार बना लिया है, जिसमें उनकी मदद कर रहे है ट्विटर Bots.यानी वो अकाउंट जिन्हें सिर्फ और सिर्फ खालिस्तान का प्रचार करने के लिए बनाया गया है. अमेरिका की नेटवरक कंटेजिन रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि सिख फॉर जस्टिस के ये बॉट्स अकाउंट्स पाकिस्तान की जमीन से संचालित हो रहे हैं. यही से इनपर कंटेंट अपलोड होता है.  


Sikhsforjustice.org और Referendum2020.org भी है. सिख फॉर जस्टिस की मदद करने के लिए इन दोनों वेबसाइट को पाकिस्तान के कराची में बनाया गया था. आज भले ही इन वेबसाइट का सर्वर अमेरिका में हो, लेकिन इनका संचालन आज भी आतंकिस्तान की जमीन से ही हो रहा है.


चीन-पाक से मिल रहा दाना-पानी


खालिस्तानी आतंकियों को सिर्फ पाकिस्तान से ही दाना-पानी नहीं मिल रहा है. बल्कि चीन भी इस साजिश में बराबर का भागीदार है, जो खालिस्तान पर भले ही खुलकर ना बोलता हो, लेकिन पर्दे के पीछे से खालिस्तानी आतंकियों को हर संभव मदद देता है. जिसमें चीन की आर्मी से जुड़ी Qihoo 360 नाम की कंपनी का भी बड़ा रोल है. नाम के लिए ये सॉफ्टवेयर कंपनी है, लेकिन इसका काम खालिस्तानी साजिश को अमलीजामा पहनाना है.


Qihoo नाम की इस कंपनी के तार पाकिस्तान तक फैले हुए हैं. पीपल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़ी Qihoo का पाकिस्तान के साथ व्यापारिक करार है. इतना ही नहीं Qihoo पाकिस्तान के उच्चायोग को साइबर सुरक्षा भी देती है. भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान और आतंकवाद का गठजोड़ नया नहीं है, लेकिन साइबर वॉर लड़ने के लिए ये नया गठबंधन बना है. ताकि भारत को तोड़ा जा सके. 


ये एक ऐसी वॉर है जिसमें ना गोली चल रही है और ना मिसाइल, लेकिन दुश्मन लगातार हमले कर रहा है. जिसमें वो सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है, उसे हथियार बना रहा है. चुनौती बड़ी है, लेकिन भारत ने भी इसके लिए अपनी तैयारियों को पुख्ता किया है.  


दुनिया ने कई बार चीन और पाकिस्तान को आतंकी मसूद अजहर की ढाल बनते देखा है. लेकिन इस बार चीन और पाकिस्तान ने खालिस्तान के लिए हाथ मिलाया है, जिसमें वो वेबसाइट और ट्विटर Bots का इस्तेमाल कर रहे है.


अब आप समझ गए होंगे कि कैसे खालिस्तान को चीन और पाकिस्तान शह दे रहे है. आपको ये भी समझ आ गया होगा कि क्यों हमने आज इस खुलासे को खालिस्तान रेफरेंडम : पाकिस्तान एंड चीन जॉइंट प्रोजेक्ट नाम दिया था. 


पाकिस्तान की मीडिया भी शामिल


अब इस साजिश का एक और सबूत पेश करते हैं,जिसमें पाकिस्तानी मीडिया भी शामिल है. विदेशों में सिख फॉर जस्टिस का खालिस्तान रेफरेंडम शुरू होने के बाद से ही पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो न्यूज और पीटीवी खालिस्तान रेफरेंडम के आधिकारिक मीडिया पार्टनर बन गए हैं. यानि खालिस्तानी आतंकी कनाडा में इकट्ठा हो या ऑस्ट्रेलिया में, पाकिस्तान के जियो न्यूज और सरकारी चैनल पीटीवी का रिपोर्टर हमेशा माइक लेकर उनके साथ चलता है. पाकिस्तान का मीडिया खालिस्तान रेफरेंडम को हर बार ना सिर्फ कवर कर रहा है बल्कि टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सनसनीखेज ढंग से प्रसारित भी कर रहा है. 


इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान हर तरह से खालिस्तानी आतंकियों की मदद कर रहा है...यानि पाकिस्तान की सरकार के साथ साथ वहां की खुफिया एजेंसी ISI और मीडिया भी खालिस्तान के सपोर्ट में है. 


खालिस्तान आतंकी की हत्या होते ही पाकिस्तान ने भारत विरोधी एजेंडा को तेज किया है. उसने कनाडा में खालिस्तानी विचारधारा को उकसाया है. वो भारत पर झूठे आरोप लगाकर भारत पर सवाल उठा रहा है. अब उसकी इस साजिश में चीन भी शामिल हो गया है.