Sambhal violence: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर सख्त रुख अपनाया है. मुख्यमंत्री ने बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में निर्देश दिया कि कोई भी उपद्रवी नहीं बचना चाहिए और जिन लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया है, उनसे उसे ठीक कराने का खर्च वसूला जाए. उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि कानून व्यवस्था की स्थिति में कोई भी लापरवाही नहीं बरती जाए. सीएम योगी के इस तेवर पर असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है, उन्होंने कई आरोप लगाए हैं. 


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पोस्टर सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएं
असल में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, संभल या कोई भी अन्य जनपद, किसी को भी अराजकता फैलाने की छूट नहीं दी जाएगी. उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएं, ताकि उनकी पहचान सार्वजनिक हो और उन्हें सजा मिल सके. यह कदम प्रदेश में बढ़ते अपराधों और अराजकता पर काबू पाने के लिए उठाया गया है.


अतिक्रमण के मुद्दे पर भी सख्त निर्देश
इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण के मुद्दे पर भी सख्त निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सड़कों पर किसी को भी निजी वाहन खड़ा करने, दुकानें लगाने या निर्माण सामग्री रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह सार्वजनिक जगह सभी के उपयोग के लिए है, और इसे किसी के निजी फायदे के लिए नहीं छोड़ा जाएगा.


मुख्यमंत्री ने राजस्व वादों और विभागीय कार्यों को लेकर भी सख्त रुख अपनाया. उन्होंने सम्पूर्ण समाधान दिवस, थाना दिवस, ‘आईजीआरएस’ और ‘सीएम हेल्पलाइन’ पर जनता से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर असंतोषजनक प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा. योगी ने कहा कि किसी भी गरीब के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और जनसुनवाई को प्राथमिकता दी जाए.


सीएम योगी के बयान पर क्या बोले ओवैसी 
उधर ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि संभल में जो बुलडोजर एक्शन हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स के मुताबिक 15 दिन की नोटिस होनी चाहिए, जिनका घर टूटने वाला है उन्हें अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए, और बुलडोज़र को किसी मुजरिम को सजा देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.



ओवैसी ने आगे यह भी लिखा कि योगी सरकार एक पूरे समाज को सजा दे रही है. उनका जुर्म बस यही है कि उन्होंने अपने संविधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया. जो सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं मान सकती, वो सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रही है. क्या ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक है?