Om Birla: `सदन की परंपराओं को पहुंचा नुकसान`, इमरजेंसी पर ओम बिरला के बयान से बौखलाई कांग्रेस, लिखा लेटर
KC Venugopal vs Om Birla Latest News: लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला के 1975 के आपातकाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करना कांग्रेस को पसंद नहीं आया है. वह बीजेपी के इस दांव से बुरी तरह बौखला गई है.
KC Venugopal Letter to Om Birla: इंडी गठबंधन के 'संविधान बचाओ' की मुहिम पर जब से बीजेपी ने लोकसभा में 'इमरजेंसी' वाला दांव चला है, तब से कांग्रेस बुरी तरह बौखलाई हुई है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सदन के स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर उनके भाषण में इमरजेंसी का जिक्र किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. वेणुगोपाल का कहना है कि आज तक सदन के इतिहास में किसी स्पीकर ने इस तरह का बयान नहीं दिया है और यह अपने आप में अभूतपूर्व है.
'सदन में स्पीकर का बयान चौंकाने वाला'
कांग्रेस महासचिव ने अपने पत्र में लिखा, 'मैं संसद की की एक संस्था की विश्वसनीयता पर असर डालने वाले गंभीर मामले पर यह पत्र लिख रहा हूं. लोकसभा में 26 जून 2024 को स्पीकर के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देते वक्त सदन में सौहार्दपूर्ण माहौल था, बिल्कुल वैसा ही, जैसा ऐसे मौकों पर रहता है. हालांकि इसके बाद जो कुछ हुआ, वह बेहद चौंकाने वाला रहा.'
'संसद की परंपराओं को नुकसान पहुंचा'
वेणुगोपाल ने लिखा, 'लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपने आधी सदी पहले के आपातकाल की याद दिलाते हुए जो भाषण दिया, वह सबको हैरान कर गया. सदन के स्पीकर की ओर से इस तरह का राजनीतिक उल्लेख संसदीय इतिहास में अपने आप में अभूतपूर्व है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इससे सदन की परंपराओं को नुकसान पहुंचा है.'
'राजनीतिक बयानबाजी से बचें स्पीकर'
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि स्पीकर को सदन में इस तरह राजनीतिक बयानबाजी करना शोभा नहीं देता. वे चाहते तो इससे बच सकते थे. इस तरह सदन में सहयोग का वातावरण नहीं बनेगा. लोकसभा में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के अभिभाषण पर तंज कसते हुए कहा कि उसमें नया कुछ भी नहीं था. सब कुछ पिछले साल जैसा ही था. उसमें देश के गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के बारे में कोई बात नहीं थी.
क्यों उखड़ी हुई है कांग्रेस?
लोकसभा में इस बुधवार को स्पीकर के चुनाव के बाद वर्ष 1975 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया. स्पीकर ओम बिरला ने खुद यह प्रस्ताव पढ़कर इमरजेंसी की कड़ी निंदा की और कहा कि देश 25 जून, 1975 को लगे आपातकाल को कभी नहीं भूल सकता. यह भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा. बिरला ने इस दौरान उन लोगों के साहस की प्रशंसा की, जिन्होंने जेल और यातनाएं सहते हुए भी इमरजेंसी का दृढ़ता से विरोध किया था. जिसके एक साल बाद सरकार को आखिर झुकना पड़ा और आपातकाल हटाकर देश में आम चुनाव करवाए गए.