Congress ने की सीएम Amarinder Singh की अनदेखी और Punjab में भी जीत गया `परिवार`?
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) की तमाम नाराजगी के बावजूद कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है.
नई दिल्ली: पंजाब में कांग्रेस पार्टी में मचा घमासान आखिरकार खत्म हो गया है और पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद आज लोक सभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परिणीत कौर (Rahul Gandhi-Preneet Kaur Meeting) के बीच मुलाकात हुई. बता दें कि कल (रविवार) ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तमाम नाराजगी के बावजूद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.
परिणीत कौर को समझाने में लगे रहे राहुल गांधी
राहुल गांधी और परिणीत कौर के बीच करीब 20 मिनट बातचीत (Rahul Gandhi-Preneet Kaur Meeting) हुई. इस दौरान परिणीत कौर लगातार राहुल से सवाल कर रही थीं और राहुल गांधी उनको समझाने में लगे थे. लोकसभा में जब स्पीकर शोक संदेश पढ़ रहे थे, उस पूरे समय में राहुल गांधी और परिणीत कौर बातचीत करते रहे.
नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुद्वारे में टेका माथा
पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने सबसे पहले गुरुद्वारे पहुंच कर माथा टेका. इस खबर के बाहर आते ही सिद्धू समर्थकों ने अमृतसर से पटियाला तक जमकर जश्न मनाया और एक दूसरे को मिठाइयां भी खिलाईं.
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कांग्रेस पार्टी में परिवार से बढ़कर कुछ नहीं?
पार्टी आलाकमान के इस फैसले से ये सवाल उठ रहे हैं कि अब सीएम अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) का क्या होगा? क्या पार्टी का उन्हें नाराज करना सही है? खासकर आने वाले चुनावों को देखते हुए. जवाब जो भी हो, लेकिन एक बात तो साफ है कि कांग्रेस में पार्टी में आज भी परिवार से बढ़कर कुछ भी नहीं है और हाथ का साथ उसके पास है जिसकी नजदीकियां परिवार से हैं.
पंजाब के घमासान में जीता कौन? पार्टी या फिर परिवार?
पंजाब कांग्रेस में मची घमासान के अंत होने के बाद राज्य में कांग्रेस मसर्थकों के बीच जश्न का माहौल है, लेकिन इस बीच यह सवाल भी है कि इस घमासान में कौन जीता? पार्टी या फिर परिवार? पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और अक्सर मीडिया से बातें करने वाले सिद्धू इस खास मौके पर बिना कुछ बोले ही निकल गए. पंजाब कांग्रेस में हुए इस बदलाव के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या पार्टी में जो परिवार के करीबी हैं, उन्हीं की बात मानी जाएगी? क्योंकि सिद्धू लगातार गांधी परिवार से मुलाकात कर रहे थे. सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक सिद्धू बार-बार अपनी बात पहुंचा रहे थे. परिवार से होने वाली उनकी इस मुलाकात का असर रविवार को दिख भी गया.
पार्टी ने पंजाब के सबसे बड़े नेता को किया नजरअंदाज?
कांग्रेस पार्टी में परिवार का दबदबा कुछ ऐसा है कि चुनाव का माहौल होने के बाद भी पार्टी ने पंजाब में अपने सबसे बड़े नेता (Amarinder Singh) की बात को नजरअंदाज कर दिया. कहा जा रहा था कि सीएम अमरिंदर सिंह, सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने के सुझाव से नाराज थे, लेकिन सिद्धू को प्रदेश की कमान सौंप दी गई. खबर ये भी थी कि सीएम अमरिंदर ने पंजाब प्रभारी हरीश रावत के सामने सिद्धू के माफी मांगने की शर्त रखी थी और अब तक सिद्धू ने सार्वजनिक तौर पर सीएम अमरिंदर से माफी नहीं मांगी है. ऐसी ही कुछ बातों से ये तो साफ है कि कांग्रेस के नेताओं के लिए परिवार ही सब कुछ है.
पहले भी दिखा है पार्टी के फैसलों पर परिवार का असर
हालांकि ये पहला मौका नहीं था, जहां कांग्रेस ने पार्टी को ताक पर रखकर परिवार की बात मानी हो. ऐसे कई उदाहरण राजनीति की किताब में हैं, जहां कांग्रेस पार्टी को अच्छे नेता परिवार के कारण खोने पड़े. कांग्रेस पार्टी परिवार से पूछ कर अपने अच्छे बुरे का फैसला लेती है. ऐसे फैसलों का ही नतीजा है कि कांग्रेस आज गिने चुने राज्यों में ही सरकार की कुर्सी पर है. अब पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के लिए आलाकमान का ये फैसला कितना अच्छा साबित होता है ये तो चुनावों में ही दिखेगा.
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