नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि वह पूरे देश में कोरोना वायरस के इलाज के लिए परंपरागत चिकित्सा या घरेलू चिकित्सा के इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता है. इसके साथ ही अदालत ने वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें घातक वायरस संक्रमण के इलाज के लिए लाल चींटी की चटनी (Red Ant Sauce) का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.


'पूरे देश इसे लागू नहीं कर सकते'


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जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘कई परंपरागत चिकित्सा है, यहां तक कि हमारे घरों में भी परंपरागत चिकित्सा होती है. इन उपचारों के परिणाम भी आपको खुद ही भुगतने होते हैं, लेकिन हम पूरे देश में इस परंपरागत चिकित्सा को लागू करने के लिए नहीं कह सकते हैं.’ पीठ ने ओडिशा के आदिवासी समुदाय के सदस्य नयधर पाधियाल को कोविड-19 रोधी टीका लगवाने का निर्देश देते हुए याचिका खारिज कर दी. 


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'HC के आदेश से शुरू हुई समस्या'


याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील अनिरुद्ध सांगनेरिया ने कहा कि ओडिशा हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी और उन्होंने फैसले को चुनौती दी थी. पीठ ने कहा, ‘समस्या तब शुरू हुई जब हाई कोर्ट ने आयुष मंत्रालय के महानिदेशक और वैज्ञानक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) को तीन महीने के अंदर लाल चींटी की चटनी को कोविड-19 के उपचार के तौर पर इस्तेमाल के प्रस्ताव पर निर्णय लेने के लिए कहा. हम इसे खत्म करना चाहते हैं. हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहते. इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.’


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इन बीमारियों में कारगर है चटनी!


याचिका में कहा गया कि लाल चींटी और हरी मिर्च को मिलाकर बनाई गई चटनी को ओडिशा और छत्तीसगढ़ सहित देश के आदिवासी क्षेत्रों में बुखार, खांसी, ठंड, थकान, सांस की समस्या और अन्य बीमारियों में दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. याचिका में दावा किया गया कि ‘लाल चींटी की चटनी’ औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसमें फॉर्मिक एसिड, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और जिंक होता है. अब कोविड-19 के उपचार में इसके प्रभाव को परखने की जरूरत है.


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