कोरोना से ठीक हुए मरीजों का टेस्ट भी आ रहा पॉजिटिव, जानें क्या है कारण
टेस्ट नेगेटिव नहीं आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि गले की जिन पेशियों में विषाणु रहता है उन पेशियों की जिंदगी 3 महीनों की होती है. वायरस मरने के बाद भी इन पेशियों में पड़ा रहता है.
नई दिल्ली: कोरोना (Coronairus) के बढ़ते संक्रमण के बीच ठीक हुए मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटव आने से लोगों की चिंता बढ़ गई है. शुरुआत में कई देशों में ऐसे केस सामने आए जहां इलाज के बाद ठीक होने पर भी मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसको लेकर कई शोध भी हुए, शोधकर्ताओं का ये दावा है कि रिकवर होने के बाद हफ्तों बाद आई मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने से कोई खतरा नहीं है.
साउथ कोरिया के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एन्ड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि इलाज के बाद ठीक हुए कोरोना के मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती हैं. इसका कारण उनके शरीर में मौजूद कोरोना वायरस के मृत कण हो सकते हैं. लेकिन इस से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होगा.
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सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा की गई इस स्टडी में 285 मरीजों का सैंपल लिया गया. इन सैंपल का पीसीआर टेस्ट किया गया. फिर इसे लैब में कल्चर किया गया, कल्चर करने पर इसमें किसी तरह का विकास नहीं दिखा. जिससे ये साबित हुआ कि इससे संक्रमण नहीं फैल सकता.
साउथ कोरिया ने ठीक हुए मरीजों के टेस्ट को लेकर नई गाइडलाइन जारी की हैं. जिसमें कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को स्कूल या ऑफिस जॉइन करने से पहले नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट दिखाना जरूरी नहीं होगा.
हाल ही में भारत में भी स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसी दिशा में कोरोना के मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने की गाइडलाइन में कुछ परिवर्तन किए हैं.
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इलाज के बाद ठीक होने पर भी क्यों आता है टेस्ट पॉजिटिव?
आईसीएमआर के कम्युनिकेबल डिसीज के हेड डॉ आर आर गंगाखेड़कर के मुताबिक पहले किसी को डिस्चार्ज करने के लिए 2 RTPCR टेस्ट 24 घंटो के बीच अगर नेगेटिव आते हैं तो उन्हें डिस्चार्ज किया जा रहा था. लेकिन कई बार मरीज के ठीक होने पर भी RTPCR टेस्ट नेगेटिव नहीं आता और मरीज अस्पताल में एडमिट रहते थे. टेस्ट नेगेटिव नहीं आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि गले की जिन पेशियों में विषाणु रहता है उन पेशियों की जिंदगी 3 महीनों की होती है. वायरस मरने के बाद भी इन पेशियों में पड़ा रहता है. मरे हुए वायरस के शरीर मे रह जाने से भी टेस्ट पॉजिटिव आता है.
कैसे पता चलता है कि शरीर मे मौजूद वायरस जिंदा है या नहीं?
इलाज के बाद शरीर मे मौजूद वायरस जिंदा है या नहीं इसको लेकर कई स्टडी की गई हैं. ये जानने के लिए ठीक हुए मरीज को अगर 3 दिन तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं तो उसके गले से सैंपल लेकर वायरस को कल्चर किया जाता है. अगर कल्चर करने पर ये वायरस अपने जैसे और वायरस पैदा करता है तो इसका मतलब है कि वो जिंदा हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो शरीर में मौजूद वायरस मरा हुआ होता है जिस से संक्रमण नहीं फैल सकता.
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क्या है कोरोना के मरीजों की नई डिस्चार्ज पॉलिसी?
स्वास्थ्य मंत्रायल द्वारा दी गई नई डिस्चार्ज पालिसी के तहत हल्के लक्षण दिखने पर 10 दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज किया जा सकता है. इसके अलावा 3 दिन तक बुखार न होने पर भी मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है. इसके लिए डिस्चार्ज करने से पहले टेस्ट करना जरूरी नहीं होगा. डिस्चार्ज करने के बाद मरीज को 7 दिन सेल्फ आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है.
एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि पहले हम मरीजों को तीन से चार हफ्तों तक एडमिट करके रखते थे क्योंकि उनका टेस्ट बार- बार पॉसिटिव आ रहा था, लेकिन उनको कोई तकलीफ नहीं होती थी. लेकिन अब ये सामने आ रहा है कि कई लोगों में ये डेड वायरस कई हफ्तों तक रह सकता है. लेकिन इस से संक्रमण का खतरा नहीं होता.